कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में में इन गवाहों के नाम दर्ज हैं. ऐसे में कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान इन सभी गवाहों को बयान देने के लिए हाजिर होना पड़ेगा
भोपाल.मध्य प्रदेश के बहुचर्चित ई टेंडर (E-Tender scam) घोटाले में अब बड़ी-बड़ी कंपनियों के खिलाफ तत्कालीन मुख्य सचिव प्रमुख सचिव के साथ तमाम विभागों के आला अधिकारी गवाही देंगे. ईओडब्ल्यू (EOW) ने इन तमाम वरिष्ठ अफसरों को भी घोटाले के मामले में गवाह बनाया है. कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में में इन गवाहों के नाम दर्ज हैं. ऐसे में कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान इन सभी गवाहों को बयान देने के लिए हाजिर होना पड़ेगा.
सोराठिया कंपनी की चार्जशीट में आये नाम
EOW ने जिन नौ टेंडर को लेकर FIR दर्ज की हैं, उनमें गुजरात की कंपनी सोराठिया वेल्जी रत्ना एंड कंपनी भी शामिल है. इस कंपनी के खिलाफ EOW पहले भी चार्जशीट पेश कर चुकी है. लेकिन हाल ही में कंपनी के पार्टनर हरेश सोराठिया के खिलाफ पेश की गई सप्लीमेंट चार्जशीट में तत्कालीन मुख्य सचिव बीपी सिंह, तत्कालीन प्रमुख सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी मनीष रस्तोगी, कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल समेत 86 लोगों को गवाह बनाया गया है.
टेंडर में करोड़ों की हेराफेरी
आरोपी हरेश सोराठिया पर लोक निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग के करीब 116 करोड रुपए के टेंडर फर्जी तरीके से लेने का आरोप है. इस मामले में सरकारी सॉफ्टवेयर की देखरेख करने वाली कंपनी के खिलाफ भी चार्जशीट पेश हो चुकी है. इसके अलावा सोराठिया कंपनी के कई जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. जिस समय यह घोटाला हुआ था, उस समय बी पी सिंह मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव थे, जबकि रस्तोगी ने टेंडर घोटाले की शिकायत EOW में की थी. इसके अलावा संबंधित अधिकारियों को भी गवाह बनाया गया है.
नौ टेंडर में FIR
EOW ने पहली FIR नौ टेंडरों में टेंपरिंग के मामले में की थी. ये सभी घोटाले शिवराज सरकार के दौरान हुए थे. 10 अप्रैल 2019 को FIR दर्ज की थी. उस मामले में अभी तक नौ से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जिन विभागों के ई-टेंडर्स में छेड़छाड़ की गयी, उनमें जल संसाधन, सड़क विकास निगम, नर्मदा घाटी विकास, नगरीय प्रशासन, नगर निगम स्मार्ट सिटी, मेट्रो रेल, जल निगम, एनेक्सी भवन सहित निर्माण कार्य करने वाले विभाग शामिल हैं. इन टेंडर्स में ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन और एंटेरस सिस्टम कंपनी के पदाधिकारियों के जरिए टेंपरिंग की गयी थी. इसमें कई दलाल, संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी और नेता भी शामिल हैं
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