ग्वालियर: मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अजीबोगरीब फरमान जारी करने का मामले ने तूल पकड़ लिया. इसे देखते हुए आनन-फानन में ऐसे फैसले को निरस्त कर करना पडा. कुछ दिनों पहले ही भोपाल में एक महिला अधिकारी ने नसबंदी को लेकर एक विवादित आदेश जारी किया था. जब उस पर हंगामा हुआ तो न केवल महिला अधिकारी को आदेश वापस लेना पड़ा बल्कि उन्हें अपना पद भी खोना पड़ा, लेकिन ग्वालियर के अधिकारियों ने उस घटनाक्रम से भी कोई सबक नहीं लिया सोमवार को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा समस्त प्राचार्य को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि उनकी संस्था के जो भी निलंबित कर्मचारी हैं उनके बैठने के लिए एक अलग स्थान नियत किया जाए. जहां यह लिखा हो कि यह स्थान निलंबित कर्मचारियों के बैठने का है और जब यह कर्मचारी वहां बैठे तो उनका फोटो खींचकर विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप में भी भेजा जाए.
कर्मचारियों के लिए लिखी गई है अपमानजनक चिट्ठी मीडिया की सुर्खियां बनी तो तत्काल प्रशासन हरकत में आया और इस निर्देश को निरस्त करने का एक नया निर्देश भी जारी कर दिया. हालांकि लिखित निर्देश जरूर निरस्त हो गया है, लेकिन ग्वालियर के कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं था. जिला शिक्षा अधिकारी विकास जोशी का कहना है कि यह व्यवस्था पहले से ही चली आ रही है. निलंबित कर्मचारियों के बैठने के लिए पहले से ही DEO और BEO ऑफिस में स्थान निर्धारित हैं. जिला शिक्षा अधिकारी का यह निर्देश तो निरस्त हो गया, लेकिन ग्वालियर जिला कलेक्टर द्वारा भी कुछ इसी तरह का प्रावधान ग्वालियर कलेक्ट्रेट भवन में किया गया है. यहां भी निलंबित कर्मचारियों के लिए एक कक्ष निर्धारित किया गया है, जहां पर साफ-साफ लिखा है कि यह स्थान निलंबित कर्मचारियों के लिए बैठने के लिए है. इसके साथ ही निलंबित कर्मचारियों के नाम के पर्चे भी वहां चस्पा किए गए हैं.
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