इंदौर। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति या संदिग्धों को पकड़ने के लिए डिजास्टर प्रोटेक्टिव स्क्वॉड (डीपीएस) तैनात कर दिया गया है। इस दस्ते में 40 सिपाही और सूबेदार शामिल हैं। उन्हें सुरक्षा कवच से लैस करने के साथ विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है। कोरोनाग्रस्त इलाकों में ड्यूटी करने के कारण इनके घर जाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इनके पास डंडे, रायफल या पिस्तौल नहीं, बल्कि जैकेट, ग्लब्स, मास्क, चश्मे और सील्ड है। आरआई जयसिंह तोमर के मुताबिक मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशिक्षण प्राप्त सिपाहियों का दस्ता गठित कर उसे रूटीन ड्यूटी से दूर रखना शुरू कर दिया था। कोरोना के संदिग्धों को अस्पताल पहुंचाने में पुलिस को मशक्कत करना पड़ती है। चार दिन पूर्व रानीपुरा में ऐसी स्थिति बनी थी और संदिग्धों को पकड़ने में परेशानी आई थी। अब सभी इलाकों में डीपीएस को भेजा रहा है।
इन जवानों को सुरक्षा कवच यानी प्रोटेक्शन सूट, मास्क, सील्ड, चश्मा, ग्लब्स दिया गया है। सूट पहनने के बाद कोरोना पॉजिटिव को छू भी लें तो वायरस का खतरा नहीं रहता है। मास्क भी 3 लेयर वाला है। दस्ते को एक गाड़ी भी दी गई है, जिसे समय-समय पर सैनिटाइज किया जाता है। खास बात यह कि कोरोना प्रूफ इस दस्ते के सदस्य घर नहीं जाते हैं। उनके रुकने और खाने-पीने की अलग से व्यवस्था की गई है।
50 वर्ष से अधिक उम्र वाले थानों में ही करेंगे ड्यूटी
अफसरों ने अधिक उम्र वाले पुलिसकर्मियों पर मैदान में ड्यूटी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्हें थाने में ही रहने की हिदायत दी गई है। एसपी के मुताबिक कोविड-19 का बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा असर होता है। इसे देखते हुए अधिक उम्र वाले पुलिसकर्मियों को मैदानी ड्यूटी से राहत दी गई है। आरआई के मुताबिक उन्होंने ऐसे करीब 100 पुलिसकर्मियों को घर भेज दिया है। उनके लिए वर्क फ्रोम होम की सुविधा दी गई है। इसी प्रकार कंट्रोल रूम पर अन्य शाखाओं में पदस्थ स्टाफ को भी कम कर दिया है।
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