अप्रैल में गेहूं खरीदी केंद्र शुरू करने की कोशिश में शिवराज सरकार
भोपाल - मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीदी कब से शुरू होगी। सरकार अभी तय नहीं कर पाई है और किसान लॉकडाउन और बिगड़ते मौसम से परेशान हैं। लॉकडाउन के चलते उन्हें मजदूर और हार्वेस्टर नहीं मिल रहे हैं और मौसम फसल को खड़ी रखने की इजाजत नहीं दे रहा है। जिससे हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। वैसे तो सरकार एक अप्रैल से गेहूं की खरीदी शुरू करने का दावा कर रही है, लेकिन कलेक्टर की रिपोर्ट आने के बाद ही उपार्जन केंद्र खोले जाने का निर्णय लिया जा सकेगा। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने सभी कलेक्टरों से उपार्जन केंद्रों को लेकर रिपोर्ट मांगी है। कलेक्टरों को बताया है कि केंद्रों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हो पाएंगे या नहीं। कोरोना के खतरे को देखते हुए प्रदेश के एक करोड़ 11 लाख से ज्यादा किसानों की खेतों में खड़ी और खलिहानों में पड़ी फसल न तो कट पा रही है और न ही बिक। लोगों की सुरक्षा को लेकर सरकार भी फसल खरीदी को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पा रही है।
इस कारण 25 मार्च से शुरू होने वाले उपार्जन केंद्र अभी तक शुरू नहीं हो पाए। सरकार एक अप्रैल से खरीदी शुरू करना चाहती है, इसे लेकर दो दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में बैठक भी हुई है, लेकिन केंद्रों के लिए जरूरी तैयारियों के चलते निर्णय नहीं लिया जा सका। इससे किसानों की समस्या और बढ़ गई है। करीब 35 लाख मीट्रिक टन गेहूं खेतों से निकलकर खलिहानों में पहुंच चुका है, लेकिन किसानों का फसल का खरीदार नहीं मिल रहा है। लॉकडाउन के चलते मंडी बंद हैं और उपार्जन केंद्र अब तक शुरू नहीं हुए। ऐसे में किसान कहां जाए। घरों में इतना अनाज रखने की व्यवस्था नहीं है और बारिश-ओलावृष्टि की चेतावनी के चलते खलिहानों में छोड़ा नहीं जा सकता है। कलेक्टरों को देना है पूरी जानकारी कलेक्टरों से उपार्जन केंद्र शुरू करने को लेकर तैयारियों की स्थिति पूछी गई है। उन्हें वारदाना, तुलाई वालों, हम्मालों और गेहूं परिवहन सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर पूरी रिपोर्ट देना है। प्रदेश के सभी जिलों से रिपोर्ट आने के बाद सरकार उपार्जन केंद्र शुरू करने को लेकर निर्णय ले सकती है। एक करोड़ मीट्रिक टन उत्पादन की उम्मीद प्रदेश में अच्छी बारिश के चलते इस बार करीब 15 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में रबी फसलों की बोवनी हुई है। अच्छा पानी मिलने के कारण किसानों ने पड़त भूमि का भी उपयोग किया।
इसलिए इस बार एक करोड़ मीट्रिक टन से अधिक पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है। किसानों ने 85 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया है। इसे देखते हुए सरकार खरीदी की तैयारी कर रही है। पिछले साल 72 लाख मीट्रिक टन अनाज खरीदी गया था। फसल पकने में 10 से 15 दिन लंबे समय तक बारिश चलने के कारण करीब 35 फीसदी फसल ही पककर तैयार हुई है। शेष फसल को पकने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है। क्योंकि कई क्षेत्रों में लगातार बारिश और बाढ़ के कारण देरी से बोवनी हुई थी। मजदूर नहीं मिलने से किसान परेशान लॉकडाउन की वजह से मजदूर नहीं मिलने के कारण किसान परेशान हैं। प्रदेश में साढ़े तीन से चार हजार हार्वेस्टर हैं, लेकिन उन्हें बाहर निकालने की इजाजत नहीं है। इसे लेकर किसान और सामाजिक संगठनों ने मांग उठाई है, लेकिन मजदूरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित सरकार फैसला नहीं कर पा रही है। 40 लाख मीट्रिक टन अनाज गोदामों में पड़ा प्रदेश की गोदामों में 40 लाख मीट्रिक टन अनाज (गेहूं, चावल, चना) भरा पड़ा है। इस कारण नए अनाज के प्रबंधन में सरकार को भी परेशानी होगी। क्योंकि गोदामें खाली नहीं हैं। यह अनाज सेंट्रल पूल का है, जो केंद्र सरकार ने नहीं उठाया है।
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