अर्जुन अवार्डी पहलवान कृपाशंकर ने सरकार को खेल कोचिंग में डिप्लोमा पात्रता और प्रवेश मानदंड के लिए 3 महत्वपूर्ण सुझाव भेजे
इंदौर : भारतीय खेल प्राधिकरण के नेताजी सुभाष नेशनल इनस्टिट्यूट पटियाला ने देश के खिलाड़ियो से एक परिपत्र जारी कर खेल कोचिंग में डिप्लोमा के लिए पात्रता, पाठ्यक्रम और प्रवेश मानदंड मे बदलाव के लिए सुझाव मांगे है | गौरतलब है की भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने बुधवार को कहा कि 46 जाने-माने खिलाड़ियों को पटियाला के राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) के प्रतिष्ठित डिप्लोमा कोचिंग कोर्स में सीधे प्रवेश मिलेगा। नयी दाखिला नीति के तहत सीटों की संख्या में इजाफा किया गया है, जबकि परीक्षा की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इस नीति को एनआईएस की शैक्षिक परिषद ने स्वीकृति दी है और संबंधित हितधारकों से इस पर प्रतिक्रिया व सुझाव मांगे है । स्पोर्ट्स कोचिंग सत्र 2020 - 21 एक वर्ष डिप्लोमा कोर्स के प्रवेश मानदंड व पात्रता के लिए इंदौर के अर्जुन अवार्डी कुश्ती कोच कृपाशंकर बिश्नोई ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को सुझाव भेजे है | जिसमे इंदौरी पहलवान ने कहा मेरे पास 3 सुझाव और 5 अतिरिक्त सुझाव हैं । वे इस तरह हैं:
1- कई खिलाड़ी बिना किसी डिप्लोमा के सर्टिफिकेट कोर्स के आधार पर कोचिंग देते हैं और उनकी कोचिंग के माध्यम से खिलाड़ी राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतते हैं, ऐसे कोचों को भी उनके कोचिंग अनुभव के आधार पर प्रवेश मानदंड में अंक दिए जाने चाहिए। (जैसे यह 11 के पृष्ठ 7: खेल उपलब्धियों के लिए 4 वें बिंदु पर कैसे दिया गया था)।
2 - जिन खिलाड़ियों पर डोपिंग के कारण प्रतिबंध लगाया गया है और उनका प्रतिबंध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है, ऐसे खिलाड़ियों को कोचिंग डिप्लोमा जैसे प्रसिद्ध पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
3 - जिन खिलाड़ियों का आपराधिक रिकॉर्ड है, उन्हें ऐसे प्रसिद्ध पाठ्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
अतिरिक्त सुझाव
1 - प्रवेश प्रक्रिया के दौरान, संस्थान के संकायों के अलावा, बाहरी लोगों जैसे सम्बंधित खेलो से जुड़े अर्जुन अवार्डी, ओलम्पियन अनुभवी एक्सपर्ड को भी बाहर से आमंत्रित किया जाना चाहिए। इस तरह प्रवेश प्रक्रिया पारदर्शी रहती है और भाई-भतीजावाद होने की कोई संभावना नहीं है।
2 - राष्ट्रीय खेल महासंघों से प्रमाण पत्र प्रवेश से पहले सत्यापित किया जाना चाहिए।
3 - प्रवेश से पहले, डोप में पकड़े गए खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल महासंघ, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) और विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी वाडा की सूचियों के साथ सत्यापित करने की भी आवश्यकता है।
4 - फ्री-स्टाइल और ग्रीको रोमन खिलाड़ियों के सिलेबस और कुश्ती प्रशिक्षण संरचना अलग-अलग होनी चाहिए। इसलिए, दोनों के लिए अलग डिप्लोमा किया जाना चाहिए।
5 - रेफरी के लिए भारत में कोई डिप्लोमा नहीं है, इसे शुरू करने की आवश्यकता है। हालांकि, भारतीय कुश्ती संघ संयुक्त विश्व कुश्ती संघ से अनुमति प्राप्त करने के बाद केवल 2-दिवसीय रेफरी पाठ्यक्रम प्रदान करता है। लेकिन, यह एक डिप्लोमा कोर्स नहीं है और बहुत से लोगों को भाग लेने का अवसर नहीं मिलता है क्योंकि फेडरेशन लोगों को उनकी इच्छा के अनुसार चुनता है।
गौरतलब है की भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के अनुसार प्रस्ताव दिया गया है कि ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप व एशिया/राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने वाले या स्वर्ण पदक जीतने वाले जाने-माने खिलाड़ियों को इस पाठ्यक्रम में सीधे अब प्रवेश दिया जाएगा। उन्हें लिखित परीक्षा या साक्षात्कार नहीं देना होगा।’ इनके लिए पात्रता नियमों में भी बदलाव करते हुए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को अब 10वीं तक कर दिया गया है | तथा एनआईएस द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार कोचिंग डिग्री के लिए न्यूनतम आयु पहले के 23 साल की तुलना में अब 21 साल होगी।
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