इंदौर. इंदौर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि प्रदेशभर की अनाज मंडियों में खुले में रखे गेहूं को सुरक्षित स्थान पर रखवाने की तत्काल व्यवस्था की जाए. कोर्ट ने कहा कि गेहूं और अन्य दूसरे अनाजों का बारिश में भीगना चिंता का विषय है. अनाज को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाना चाहिए. मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के बीच एक करोड़ 29 लाख 28 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. बताया गया है कि सरकार ने भी पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल सबसे ज्यादा गेहूं की खरीद की है. लेकिन इसकी देखभाल को लेकर सवाल उठ रहे हैं. मध्य प्रदेश की मंडियों में बारिश से गेहूं भीगने को लेकर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी. 22 जून को कोर्ट ने इसे सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट मनीष यादव ने पैरवी की है.
सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन मध्य प्रदेश में हुआ है
याचिका में कहा गया था कि इस बार देश में सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन मध्य प्रदेश में हुआ है. गेहूं उत्पादन में मध्य प्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन बारिश की वजह से हजारों क्विंटल गेहूं भीग गया है. जनता से टैक्स के रूप में मिले पैसों से सरकार ने इसकी खरीदी की है.
हाईकोर्ट ने नहीं मानी दलील
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पैरवी की थी. सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि केवल सूचनाओं के आधार पर ये याचिका दायर की गई है. इसमें कोई आंकड़े नहीं है. इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए. जिस पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने गेहूं के भंडारण और भीगने से बचाने के आदेश के साथ याचिका को निराकृत कर दिया है.
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