धर्म डेस्क - सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक विवाह मुहूर्त नहीं रहते। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान विवाह करना वर्जित माना गया है। चार माह के इंतजार के बाद सभी की नजर देवउठनी एकादशी पर रहती है जब विवाह के मुहूर्त शुरू होते हैं लेकिन इस बार ऐसी स्थिति बन रही है कि देवउठनी एकादशी के बाद विवाह के लिए मात्र 12 दिन ही मिल रहे हैं। इसके बाद खरमास लग जाएगा फिर गुरु और शुक्र तारा अस्त हो जाएगा। ऐसे में विवाह करने वालों को 20 अप्रैल 2021 तक इंतजार करना पड़ेगा।
16 दिसंबर से शुरू होगा खरमास:
शास्त्रानुसार विवाह मुहूर्त निकालते समय मलमास (खरमास) का विशेष ध्यान रखा जाता है। मलमास में विवाह मुहूर्त का अभाव होता है। 16 दिसंबर 2020 से सूर्य के धनु राशि में गोचर के साथ ही मलमास प्रारंभ हो जाएगा जो 14 जनवरी 2021 तक प्रभावशील रहेगा। 15 दिसंबर 2020 से 14 जनवरी 2021 की अवधि तक मलमास होने के कारण इस अवधि में विवाह वर्जित रहेंगे।
16 जनवरी को गुरु तारा होगा अस्त:
शास्त्रानुसार विवाह मुहूर्त के निर्णय में गुरु-शुक्र के तारे का उदित स्वरूप में होना आवश्यक माना गया है। गुरु-शुक्र के अस्त स्वरूप में होने से वैवाहिक कार्य नहीं होते। आगामी 16 जनवरी 2021 से गुरु का तारा अस्त होने जा रहा है जो 12 फरवरी 2021 को उदित होगा। अत: इस अवधि में मुहूर्त के अभाव में विवाह वर्जित रहेंगे।
17 फरवरी से शुक्र तारा होगा अस्त:
गुरु के अस्त होने के बाद आगामी 17 फरवरी 2021 से शुक्र का तारा अस्त होने जा रहा है। जो 20 अप्रैल 2021 को उदित होगा। अत: इस अवधि में विवाह वर्जित रहेंगे।
अभी इतने दिन होंगे विवाह:
नवंबर- 25, 26, 29, 30
दिसंबर- 1, 6, 7, 8, 9, 11, 12, 13
विवाह जैसे शुभ कार्य गुरु और शुक्र तारा के उदय से ही होते हैं इस बार दोनों के लगातार अस्त होने से यह स्थिति बन रही है। दिसंबर के बाद अप्रैल तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं।
- ज्योतिषाचार्य पं प्रमोद मेहता
Comments
Post a Comment