भोपाल (ब्यूरो रिपोर्ट) - क्या राजधानी भोपाल के शेल्टर होम में धर्मांतरण हो रहा है? बाल कल्याण समिति की जांच में जो जानकारी सामने आई है, उससे ऐसी ही आशंका है. समिति ने जांच में ऐसा ही कुछ मामला पकड़ा है, जिससे धर्मांतरण के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि, इस मामले की सच्चाई तक पहुंचने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं. बाल कल्याण समिति (भोपाल) के विभिन्न आश्रय गृहों में रह रहे बच्चों के दस्तावेज का सत्यापन और उनकी छानबीन कर रही है. इसी के दौरान एक शेल्टर होम में धर्मांतरण का मामला सामने आया. हालांकि, यह वाकई में धर्मांतरण है या फिर दस्तावेजों में किसी तरीके की चूक हुई है, इसको लेकर समिति ने जांच के आदेश दिए हैं. इस मामले की जांच डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट करेगी.
ये है पूरा मामला
चाइल्ड लाइन या फिर दूसरी संस्थाएं शहर में लावारिस मिलने वाले बच्चों को बाल कल्याण समिति के जरिए शहर के अलग-अलग शेल्टर होम में रखवाते हैं. बाल कल्याण समिति के सदस्य कृपाशंकर चौबे ने बताया कि शहर के एक शेल्टर होम में एक नाबालिग बच्चे को उसके परिवार के सुपुर्द करना था. जब दस्तावेजों की जांच की गई तो पिता का धर्म अलग और नाबालिग का धर्म अलग मिला. ऐसे में बच्चे को उसके पिता को नहीं सौंपा गया. अब दस्तावेजों की जांच की जा रही है. इसके लिए संबंधित विभाग और संबंधित संस्था को कार्रवाई के लिए कहा गया है.
शेल्टर होम में लापरवाही
कृपाशंकर चौबे ने यह भी बताया कि संस्थाओं में सिर्फ लावारिस अनाथ बच्चों को रखा जाता है, जिनके माता-पिता या कोई रिश्तेदार या परिवार नहीं होता है. लेकिन, जांच के दौरान यह भी पता चला कि संस्थाओं में उन बच्चों को भी लंबे समय तक रखा जा रहा है, जिनके अभिभावक हैं. इस पर भी बाल कल्याण समिति जांच कर रही है, क्योंकि यह एक बड़ा मामला है. इसके पीछे फंडिंग की बड़ी वजह सामने आ रही है. बाल कल्याण समिति के जरिए ही लावारिस बच्चों को शेल्टर होम में रखने का प्रावधान है. संस्थाएं मनमानी करके उन बच्चों को भी अपने यहां आश्रय दे देती हैं, जिनके अभिभावक हैं. कुछ दिन तक उन बच्चों को रखने के बाद बच्चों को अभिभावकों को सौंप दिया जाता है. इसी जांच पड़ताल में धर्मांतरण से जुड़ा यह मामला सामने आया. हालांकि, उन्होंने कहा इस बात में कितनी सच्चाई है यह जांच के बाद ही पता चलेगा.
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