भोपाल (ब्यूरो) - मध्य प्रदेश में 38 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और उसकी 839 ब्रांच को बंद करने की तैयारी की जा रही है. जानकारी के मुताबिक इस प्रक्रिया के लिए एक टीम बनाई गयी है जोकि तेलंगाना, केरल और उत्तराखंड जाकर केस स्टडी करेगी और उसकी रिपोर्ट सौंपेगी. जिसके आधार पर बैंक बंद करने का फैसला लिया जाएगा. बता दें कि इन तीनों राज्यों में पहले ही केंद्रीय सहकारी बैंकों को बंद किया जा चुका. बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने भी खर्च घटाने के लिए द्विस्तरीय मॉडल पर विचार करने की सलाह दी है. प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण होने के बाद माना जा रहा है कि इसके बीच की कड़ी यानी कि जिला बैंक की जरुरत नहीं है. बता दें कि प्रदेश में किसानों को रबी और खरीफ की फसलों के लिए प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के जरिए अल्पकालीन कृषि ऋण दिया जाता है. हर साल दस हजार करोड़ रुपये के आसपास कर्ज दिया जाता है. बीते कार्यकाल में शिवराज सरकार में सभी जिला बैंकों में कोर बैंकिंग व्यवस्था लागू कर चुकी है. जिसके बाद अब समितियों का कम्प्यूटरीकरण करने का फैसला किया है.
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