अशोकनगर (चक्र डेस्क) - देश-दुनिया में प्रसिद्धि पा चुकी चंदेरी की साड़ियों को अब पड़ोसी देशों में निर्यात किया जाएगा। इसके लिए अशोकनगर जिला प्रशासन ने कार्ययोजना बनाई जा रही है। चंदेरी की साड़ियों को एक जिला- एक उत्पाद के तहत चि-त कर लिया गया है। इन साड़ियों को श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल समेत उन देशों में भेजने की तैयारी की है, जहां महिलाएं साड़ी पहनना पसंद करतीं हैं। इसके लिए गुजरात की एक कंपनी से संपर्क किया जा रहा है। कलेक्टर अभय वर्मा ने उद्योग विभाग के महाप्रबंधक को गुजरात जाकर कंपनी के अधिकारियों से बात कर कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। अशोकनगर जिले की पहचान चंदेरी की साड़ी से है। यहां बुनकरों द्वारा हैंडलूम की मदद से विशेष साड़ी तैयार की जाती हैं, जिनकी बाजार में कीमत 2 हजार रुपये से लेकर लाखों रुपये तक है। इन साड़ियों को मप्र शासन द्वारा भी मृगनयनी शोरूम के माध्यम से बेचा जा रहा है। चूंकि जिले की पहचान चंदेरी की साड़ी से है, तो अब जिला प्रशासन ने इसे विदेशों तक निर्यात करने की कार्ययोजना तैयार की है। इस साड़ी को एक जिला- एक उत्पाद के तहत उद्योग विभाग ने चुना है। अब चंदेरी की साड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कवायद की जा रही है।
गुजरात की कंपनी से साध रहे हैं संपर्क
कलेक्टर अभय वर्मा ने बताया कि चंदेरी की साकिो विदेशों तक निर्यात करने के लिए गुजरात की एक कंपनी से संपर्क किया जा रहा है। इसके लिए उद्योग विभाग के महाप्रबंधक को भी गुजरात के सूरत भेज रहे हैं। चंदेरी की साड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी।
पहला हैंडलूम पार्क है चंदेरी में
चंदेरी की साड़ियां सिल्क और कॉटन से बनाई जाती हैं। यहां सरकार ने हैंडलूम पार्क भी बनाया है, जो कि संभवत: देश का पहला हैंडलूम पार्क है। इसमें 240 बुनकरों ने अपना पंजीयन कराया है। पूरे चंदेरी कस्बे में 4 हजार 500 के करीब हथकरघा हैं। यहां करीब 15 हजार लोग इसी साड़ी बनाने के कारोबार से जुड़े हुए हैं। इतिहासकारों का मानना है कि चंदेरी में यह साड़ी उद्योग सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के समय से चल रहा है।
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