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मध्यप्रदेश में 100 दीनदयाल 100 दीनदयाल रसोई केंद्रों का शुभारंभ, 10 रु में में पेट भर भोजन


 भोपाल (ब्यूरो) - मध्यप्रदेश में दीनदयाल रसोई एक बार फिर शुरू हो गई है। शुक्रवार से प्रदेश भर में 100 जगहों पर लोगों को सरकार की ओर से खाना मिलने लगेगा।  शुक्रवार को दोपहर से राजधानी भोपाल स्थित मिंटो हाल में 100 दीनदयाल रसोई केंद्रों का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित है। मुख्यमंत्री ने कन्या पूजन कर दीनदयाल अन्त्योदय रसोई योजना के द्वितीय चरण में बने 100 रसोई केंद्रों व योजना के पोर्टल के लोकार्पण कार्यक्रम की शुरुआत की। अनुसारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चित्र पर माल्यार्पण किया, मुख्यमंत्री दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के द्वितीय चरण में सुदृढ़ीकृत एवं नवीन 100 रसोई केन्द्रों व योजना के पोर्टल का भी लोकार्पण किया गया है। बता दें कि रसोई केन्द्र 52 जिला मुख्यालय और 6 धार्मिक नगर मैहर, ओंकारेश्वर, महेश्वर, अमरकंटक, ओरछा और चित्रकूट में संचालित है। सीएम ने कहा- भोजन है, तो जिंदगी है। अपने-अपने गांव छोड़कर दूर-दराज शहरों में हम सब आते हैं, तो इसीलिए कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाये, रोटी, कपड़ा, मकान जीवन के लिए बहुत जरूरी है। हमारी सरकार हर गरीब को यह देने के लिए संकल्पित है।

भाजपा की सरकार में किसी का भी पेट खाली नहीं रहेगा - चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य है कि भाजपा की सरकार में किसी का भी पेट खाली नहीं रहेगा। इसलिए दीनदयाल रसोई के माध्यम से गरीबों को भोजन उपलब्ध कराया था। वह हमारा सफल प्रकल्प था, लेकिन 15 महीने रही कमलनाथ की सरकार ने दीनदयाल रसोई बंद कर दी थी। उन्हें भ्रष्टाचार करके खुद का पेट भरना था। हमारी सरकार गरीब की सरकार है। इसलिए मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया है, आज से प्रदेश में 100 नई रसोई और चालू हो रही है। जरूरत पड़ेगी तो गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने की और भी व्यवस्था करेंगे।


दिग्विजय पर निशाना साधा

सारंग ने कहा कि दिग्विजय सिंह सोते, उठते, बैठते तथा खाते समय राजनीति करते हैं। उनका कोई भी कृत्य गैर राजनीतिक कैसे हो सकता है। देश में अराजकता फैलाना ही दिग्विजय की जिंदगी का लक्ष्य है। इसलिए उनके सारे कामों में विघटन की बात ना हो यह कैसे संभव है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि गांधी के नाम पर राजनीति करने वाले तथाकथित नेहरू परिवार के नेता है। इंदिरा गांधी का गांधी शब्द से क्या लेना देना था, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी का गांधी शब्द से क्या लेना देना था, वह सिर्फ गांधी टोपी पहन कर अपने आप को गांधीवादी बताते है। गांधीगिरी कह देने से नहीं होती, करने से होती है। जिस प्रकार का कृत्य ग्वालियर में हुआ है, वह कांग्रेस के लिए केवल चुनावी बात है। गांधी के विचार, गांधी के व्यक्तित्व से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं है। कांग्रेस को व मीडिया काे हमें जवाब नहीं देना अरुण यादव को ही कांग्रेस जवाब दे दे। गांधी को लेकर राजनीति करने वाले कांग्रेस के नेताओं को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने इस तरह का कृत्य किया है।

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