नर्मदापुरम (निप्र) - न्यू जय स्तंभ के युवाओं ने पर्यावरण को बचाने के लिए तय कर लिया है। छिन्ना मस्तिका उत्सव समिति के द्वारा कंडों के साथ नारियल की ही होली जलेगी। इन लोगों का कहना है कि अभी होली आने में जो समय बचा है। उसमें हम लोग मोहल्ले के अन्य लोगों को भी प्रेरित करने का प्रयास करेंगे। उनसे कहेंगे कि कोई भी पेड़ को ना काटें, गोबर के कंडे से ही होलिका दहन करें। यदि कंडे खरीदने पड़ें तो चंदा करके कंडा खरीदे जाएंगे। वैसे तो अनेक लोग होली के लिए कंडे स्वयं ही शाम हो लेकर पूजन में शामिल होते हैं फिर भी हम होली की टोली वाले कंडे एकत्रित करेंगे। जिससे कि सिर्फ कंडों की ही होली जले। मोहल्ले की वरष्ठिजनों ने भी हमें मार्गदर्शन दिए हैं। अन्य स्थानों पर भी कोशिश करेंगे कि कंडे की कमी नहीं आ सके। शहर की जो गोशालाएं है उससे भी कंडे लेने का प्रयास करेंगे उसके बदले में वहां पर घास और भूसे का प्रबंध करेंगे। इससे दो फायदे होंगे एक तो पर्यावरण में सुधार होगा दूसरा गो माता का संरक्षण होगा।
पर्यावरण को बचाना है
यह एक अच्छी पहल है कि नवदुनिया समाचार पत्र के द्वारा बीते कुछ वर्षों से जो कंडे की होली जलाने का अभियान चलाया जा रहा है। यह अच्छा अभियान है ऐसे कार्य में सबको शामिल होना चाहिए। सभी को प्रयास करना चाहिए कि पर्यावरण बचाने के लिए लकड़ी की नहीं कंडे की ही होली जलनी चाहिए। कंडे के लिए प्रयास किए जाएं।
पेड़ काटना उचित नहीं है
पिछले अनेक वर्ष से हमारे मोहल्ले के कुछ हमारे साथी युवा होली आने से दिन पूर्व से ही लकड़ी का इंतजाम करने में जुट जाते हैं। हम लोग अड़ोस पड़ोस के पेड़ को काटकर उसकी डालियों की लकड़ी एकत्रित करके होली जलाने के लिए उपयोग में लेते थे, लेकिन अब इस बार पेड़ की डालियां भी नहीं काटेंगे।
पहले से ही रखे हैं कंडे
कुछ वर्ष पूर्व तक होली जलाने के लिए पेड़ काटे जाते थे, लेकिन अब लोगों में भी पर्यावरण के प्रति लगाव होने लगा है। इसलिए अब मैं तो यहीं कहूंगा कि होली में एक भी लकड़ी नहीं जलनी चाहिए, क्योंकि वह किसी न किसी पेड़ की होती है। हमने पहले से ही कंडे और नारियल की व्यवस्था कर ली है।
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