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आयुष्मान भारत योजना पर हाई कोर्ट ने ली स्वास्थ्य विभाग की क्लास

 


जबलपुर (ब्यूरो) - हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा कि अब तक प्रदेश में कितने हितग्राहियों के लिए आयुष्मान कार्ड बनाने का काम कितना हुआ। इसके पूर्व सरकार की ओर से आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत संबद्ध प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों की जानकारी पेश की गई। अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।

शाजापुर में मरीज के साथ बदसलूकी पर लिया संज्ञान 

शाजापुर के एक निजी अस्पताल में बिल नहीं चुका पाने के कारण अस्पताल संचालकों ने एक बुजुर्ग मरीज के हाथ-पैर पलंग से बांध दिए थे। इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में शुरू की है। इसी मामले में हाई कोर्ट द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों के इलाज के मसले पर भी सुनवाई की जा रही है। कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने आवेदन दायर कर कहा कि आयुष्मान भारत योजना के प्रदेश के सीईओ ने पत्र जारी किया है कि आयुष्मान भारत योजना वर्ष 2018 में शुरू हुई थी, लेकिन फरवरी 2020 तक आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रदेश के 25 फीसद हितग्राहियों का पंजीयन हो पाया था। इसके साथ ही पत्र में कहा गया है कि दिसंबर 2019 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 60 फीसद सरकारी अस्पताल ही संबद्ध हो पाए। गत 9 फरवरी को कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन माह के भीतर आयुष्मान कार्ड बनाने का काम पूरा करने के निर्देश दिए थे।

निजी अस्पतालों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है

आइएमए की ओर से अधिवक्ता शिवेंद्र पांडे ने तर्क दिया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है। गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश की। कोर्ट को बताया गया कि 769 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी अस्पतालों सहित निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत जोड़ लिया गया है। इस पर कोर्ट ने उन्हें अब तक बनाए गए आयुष्मान कार्ड की जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।

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