उज्जैन (निप्र) - ब्लैक फंगस के मरीज उज्जैन में बढ़ने लगे हैं। मंगलवार को यह आंकड़ा बढ़कर 58 तक पहुंच गया है। इनमें से 30 मरीज तो आरडी गार्डी में ही पहुंचे हैं। यहां 20 मरीजों की सर्जरी हुई है। चार मरीजों के स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया है। इनके अलावा 28 मरीज शहर के प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हैं। यह वे मरीज हैं जो कोरोना पॉजिटिव थे और जिन्हें शुगर थी या स्टेरॉयड दवाई दी गई थी। मरीज कोरोना से तो ठीक हो गए लेकिन अब उन्हें ब्लैक फंगस हो रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह ने नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉक्टर्स की मंगलवार को बैठक लेकर मरीजों की जांच करने के लिए कहा है। सभी निजी व सरकारी अस्पतालों को भी कहा गया है कि वे कोरोना पॉजिटिव मरीज की फंगस की जांच करें। डॉक्टर्स ने कहा है कि आईसीयू में भर्ती सभी मरीजों की एंडोस्कोपिक जांच की जाना चाहिए ताकि फंगस को रोकने में मदद मिल सके। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने भी मंगलवार को ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. सुधाकर वैद्य से ब्लैक फंगस के मरीजों के बारे में चर्चा की थी। इसमें दवाइयों की कमी से अवगत कराया था।
दवाई का शार्टेज : बेटे की गुहार- पिता को दवाई दिलवाओ शिवराज
अब ब्लैक फंगस की दवाइयों का मार्केट में शार्टेज हो गया है। मरीज के परिजन दवाइयों के लिए दवा दुकानों पर भटक रहे हैं। दवाइयां नहीं होने से मरीजों के इलाज में भी मुश्किल खड़ी हो गई है। राज्य सरकार की ओर से भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में दवाइयां भेजना शुरू कर दी है लेकिन उज्जैन में अब तक उपलब्ध नहीं करवाई है। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेंचिंग ग्राउंड क्षेत्र में रहने वाले मोहनलाल पंवार को ब्लैक फंगस होने से भर्ती किया है। डॉक्टर जो मरीज को दवाइयां व इंजेक्शन लिखे, वह मार्केट में नहीं मिल पाए। पुत्र हेमंत पंवार ने मेडिकल पर दवाइयों की तलाश की लेकिन नहीं मिल पाई। उसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है कि मेरे पिता के इलाज के लिए दवाइयां उपलब्ध करवाई जाए। एंटी फंगस दवाइयों की सरकारी उपलब्धता करवाई जाए। डॉ. वैद्य का कहना है कि ब्लैक फंगस की दवाइयों की मार्केट में शार्टेज है। मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। एम्फोटेरिसिन1-बी इंजेक्शन भी नहीं मिल पा रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है कि पूरे प्रदेश में इसकी उपलब्धता नहीं है।
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