15 दिन इलाज, बिल 4.19 लाख, मरीज बोला- काम बंद, इतनी राशि कहां से लाएं, कलेक्टर वापस दिलवाएं
उज्जैन (निप्र) - कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा कोविड मरीजों के इलाज की दरें तय करने के बावजूद प्राइवेट अस्पताल मरीजों से मनमाने चार्ज वसूल रहे हैं। इसका एक और मामला सामने आया है। मरीज महेंद्र कक्कड़ उम्र 66 साल निवासी विवेकानंद कॉलोनी की तबीयत खराब होने पर 31 मार्च को गुरुनानक हॉस्पिटल में भर्ती किया था। यहां उनका 15 दिन तक इलाज चला। उन्हें 15 अप्रैल को डिस्चार्ज किया गया। मरीज को हॉस्पिटल प्रबंधन ने 4 लाख 19 हजार 400 रुपए का बिल थमा दिया गया। इसमें 1 लाख 94 हजार 400 रुपए हॉस्पिटल के चार्ज और दो लाख 25 हजार रुपए की दवाइयों का बिल दिया गया। कक्कड़ ने आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन द्वारा तय की गई दरों से करीब 31 हजार रुपए ज्यादा लिए गए हैं। ज्यादा ली गई राशि को लेकर हम लोगों ने हॉस्पिटल प्रबंधन से बात की तो उनका कहना था कि राशि रिटर्न नहीं होगी, आपसे जो बने वह कर लेना। कक्कड़ का कहना है कि लॉकडाउन के चलते पहले ही काम-धंधे बंद हैं और इलाज का इतना महंगा खर्च कैसे उठाएं। उन्होंने कलेक्टर आशीष सिंह को शिकायत कर राशि वापस दिलवाने की गुहार भी की है।
हॉस्पिटल के संचालक डॉ. मुकेश जेठवानी से संपर्क किया गया लेकिन चर्चा नहीं हो सकी। इधर जिला प्रशासन के अधिकारियों का तर्क है कि शिकायत पर जांच की जा रही है। नोटिस देकर जवाब तलब किया है। प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से मनमाने चार्ज वसूलने की लगातार शिकायत जिला प्रशासन के पास पहुंचने के बावजूद केवल नोटिस तक ही कार्रवाई सीमित है। ऐसे में मरीजों से ज्यादा राशि वसूलने के मामले थम नहीं रहे हैं। पूर्व में भी गुरुनानक हॉस्पिटल प्रबंधन को मरीज से ऑक्सीजन मंगवाने और आयुष्मान योजना के मरीजों का ठीक से इलाज नहीं करने और दूसरे मरीजों से अलग रखकर सामान्य इलाज करने के आरोप लगे और शिकायत भी हुई लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी अब तक आगे कार्रवाई नहीं कर सके।
तय दरों से ही करें भुगतान, ज्यादा राशि लेने पर करें शिकायत, कार्रवाई होगी
कोरोना संक्रमण काल में कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा तय की गई दरों के अनुसार ही मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भुगतान करें। दैनिक भास्कर मरीजों की सुविधा के लिए इलाज की दरों की सूची प्रकाशित कर रहा है, जिससे मरीज और उनके परिजन बिलों का मिलान कर लें। दरों में कोई अंतर हो तो पहले हॉस्पिटल प्रबंधन को बताएं, उसके बाद भी बिल की राशि में सुधार नहीं हो तो जिला प्रशासन को शिकायत करें। नई दरों के तहत विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीजों को चिकित्सक की सलाह देने के लिए प्रति मरीज अधिकतम 1000 रु ही कंसल्टेंसी फीस ली जाना है। मरीज इससे ज्यादा फीस नहीं दें।
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