इंदौर (ब्यूरो) - इंदौर-मनमाड रेल परियोजना को लेकर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में प्रस्तुत जनहित याचिका में दोबारा सुनवाई शुरू होगी। याचिका 2011 से लंबित है। पहले पक्षकारों के समय पर जवाब नहीं देने की वजह से और फिर महामारी के चलते इसकी सुनवाई टलती रही। इस बीच कुछ-कुछ हिस्सों में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया। हाल ही में यह याचिका एक बार फिर सुनवाई के लिए लगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वे इस मामले को आगे चलाना चाहते हैं। याचिकाकर्ता ने जवाब दिया हां, कई मुद्दे हैं जिन पर अब तक सुनवाई ही नहीं हुई। कोर्ट अब मामले में दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई करेगी।
हाई कोर्ट में यह याचिका इंदौर-मनमाड रेल संघर्ष समिति के मनोज मराठा ने सीनियर एडवोकेट टीएन सिंह और एडवोकेट हेमलता गुप्ता के माध्यम से दायर की है। याचिका में इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने की मांग है। याचिकाकर्ता ने बताया कि दो साल पहले इस परियोजना का भूमि पूजन और अंतिम सर्वे रिपोर्ट भी प्रस्तुत हो चुकी है। इस प्रोजेक्ट के लिए पोर्ट एण्ड रेलवे कारपोरेशन का गठन हुआ है। मप्र, महाराष्ट्र और जल परिवहन के बीच एमओयू साइन भी हो चुका है।
दोनों प्रदेशों ने अपने हिस्से की राशि की स्वीकृति दे दी है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण प्रोजेक्ट का काम अब तक अटका हुआ है। रेलवे एण्ड पोर्ट कार्पोरेशन का कहना है कि जब तक केंद्र से वित्तीय स्वीकृति नहीं मिलेगी, टेंडर नहीं हो सकते। हाल ही में कोर्ट ने हमसे इस संबंध में प्रस्तुत जनहित याचिका के संबंध में जानकारी मांगी थी। हमने कोर्ट को बताया है कि प्रोजेक्ट की लेटलतीफी की वजह से इसकी लागत बढ़ रही है। हम इस संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत करना चाहते हैं। मामले में अब सितंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई होगी।
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