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1982 से उठती रही कन्नौद को जिला बनाने की आवाज



 स्थानीय नगर को जिला बनाने के लिए 42 साल से आवाज उठती रही किंतु नेतृत्व विहिन यह जायज मांग अखबार और पृशासन स्थर पर ही सीमित रह गई थी। जब वागली  के  हालात संदलपुर जैसे थे वहां पर मात्र तहसील थी सड़क की हालत इतनी दयनीय थी एक बार भूल से चला जाय तो दुसरी बार जाने के लिए सोचने पर मजवूर हो जाय उससे तो अच्छा सतबास कस्बा था जहां जाने आने के साधन के साथ सड़क भी ठीक-ठाक थी

कन्नौद (चक्र डेस्क) - जब से खातेगांव विधानसभा मैं कन्नौद विकासखंड के निवासी चुनाव में जीत दर्ज कराने लगे तब से आज तक इस क्षैत्र का विकास जिस तरह होना चाहिए नहीं हुआ. इसका एक अहम कारण यह रहा कि जब भी यहां से कोई सदन पहुंचा तब उस दल के विपक्षी पार्टी सदन का नेतृत्व करती रही जिससे बहुत कुछ इस विधानसभा को जो आज मिलना चाहिए था वह नहीं मिला. सदैव उपेक्षा होती रही दुसरा कारण जो भी इस विकासखंड से जीता उसकी सोच-रिकार्ड देखते हुए उसके आशा के अनुरूप जनसमर्थन नहीं मिला. खातेगांव क्षैत्र के बल पर वह विधानसभा तक पहुंचा यही हालात आज भी बने हैं इस कारण भी कन्नौद जिला नहीं बन सका. जब भी यह आवाज उठी तब विधायक के सामने खातेगांव आगे आता रहा. जबकि उस समय तक यह भी मात्र तहसील दर्जा प्राप्त कस्बा रहा पर वहां के नेताओं की सोच कूपमंडूप की तरह रही या यह कहा कि सनम हम तो डूबे तुमको भी ले डूबे वाली बात करते रहे. आज भी उनकी सोच वही बनी हुई हैं. अगर दोनों क्षैत्र इस बात को लेकर एकमत होते तो कन्नौद आज जिला होता. इसका फायदा उठाते हुए विगत दिनों बागली के राजनेताओं ने फायदा उठाते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष स्वर्गवासी पूर्व मुख्यमंत्री स्व श्री कैलाश जी जोशी के सपने की बात रखकर अपनी बात पर मोहर लगाने का काम किया. इसे कहते है बिल्ली के भाग से छीका टूटा और हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का विजय प्राप्त प्रतिनिधि गुटबाजी के कारण भाजपा में जाने से पुनः चुनाव हुए, यहां चूनाव आने से राजनैतिक षड्यंत्र रचा जिसमें मुख्यमंत्री को जिला बनाने की चाल चुनाव जीतने के लिए चली गई और फिर दुसरा अवसर अपनी बात को मनाने के लिए खंडवा लोकसभा क्षेत्र में बागली विधानसभा आने से नेताओं की लग बैठी है । चूंकि खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री आशीष शर्मा का कहना है मैंने तत्काल संज्ञान लेते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी को हेलीपेड पर बागली जिला बनाने पर आपत्ति ली थी। अगर यह सत्य है तो चूनाव बाद विधायक जी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान से इस पर चर्चा क्यो नही की? लिखित विरोध क्यो दर्ज नहीं कराया? जिसके कारण प्रदेश स्तर से बागली को जिला बनाने का पत्राचार शुरू किया गया है। क्षैत्र के विधायक ने इस मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए आज तूफान की तरह उठे इस आंदोलन को समर्थन देने और माननीय मुख्यमंत्री जी से  आन्दोलन कर रहै लोगों का प्रतिनिधित्व करते हुए मिलकर वागली पर विराम लगाना चाहिए साथ ही वास्तविकता को लेकर अवगत कराकर कार्रवाई करने की बात वजनदारी के साथ रखना चाहिए।

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