बुरहानपुर (जिला ब्यूरो राकेश चौकसे ) - दिल्ली के सफर का रास्ता निमाड संसदीय क्षैत्र से होकर गुजरेगा, चुनाव की तैयारी में दोनो राष्ट्रीय दल के नेता छः माह से अधिक समय से चुनावी गणित के लिए जुट गए थे ,वही हर्ष चौहान को सहानुभूति की लहर का लाभ मिलता एवम योग्यता नही होने के बावजूद ये प्रत्याशी की दौड़ में सबसे आगे चल रहे थे, निमाड़ की राजनिति में इनके आलावा माननिया अर्चना दीदी भाजपा से और कांग्रेस से अरुण यादव सियासी चेहरे के रूप में उभर रहे थे। किंतुअब जब प्रत्याशी घोषित हो चुके है राष्ट्रीय राजनिति में पहुंचने के लिए प्रत्याशी के पास अब गिने चुने दिन बचे है। इसके बावजूद अब तक जनमानस ने किसी ऐक को सरताज के रूप में चिन्हित नही करा है। इसलिए कोई भी अभी सांसद के रूप में खुद को देखनेकी हिमाकत नही कर पा रहा है। नाही सियासी हलकों में भूमिका और स्वीकार्यता बढ़ रही है। जिसके मूल में दिल्ली का रास्ता आठ विधानसभाओं को पार करने के बाद आएगा अतः 2021का उपचुनाव और सांसद का मंसूबा साधना अब भी आसान नही है। लिहाजा उम्मीदवार अपने तरकस में एक ना एक ब्रह्मास्त्र रखना चाहेगा, शायद इसी हिसाब से प्रत्याशी दाव चल रहे और फांसा फेंक रहे है जो उन्हें सांसद की सीढ़ी को चूमने का अवसर प्रदान कर सके।
खेर आठ विधानसभा क्षैत्र का विस्तृत, व्यापक फैलाव और प्रचार में समय ,दिनों की कमी के कारण समूची लोकसभा का भ्रमण संभव नही है किंतु राजनेतिक खबरची मौजूदा वक्त और परिस्तिथियो को अपने मुफीद पाते हुए प्रचार अभियान को गति और जनसंपर्क का पैमाना समझ ने का प्रयास कर रहे है।जिसका प्रमाण हमे बुरहानपुर विधानसभा के ह्रदय लालबग में भाजपा प्रत्यासी की गैर मौजूदगी में इनके भतीजे के द्वारा धुआधार चुनाव प्रचार से और क्षैत्र के भावी पार्षद रुद्रेश्वर एडोले, आशीष शुक्ला, पिंटू बविस्कर, हीरालाल माली, दिलीप दिवेकर, और अन्य ने जन संपर्क की बागडोर सम्हालने से स्पष्ट रूप से मिल रहा है। शिवाजी नगर से राम मंदिर और राम मंदिर से दत्त मंदिर का सफर और चुनाव प्रचार, जन समर्थन कांग्रेस प्रत्याशी को कटघरे में *खड़ा करने में कितना सफल हुआ अभी गर्त में है। उल्लेखनिय वार्ड क्रमांक 43, से रुद्रेश्वर भाई, वार्ड क्रमांक 47से दिलीप दिवेकर, पिंटू बाविस्कर, और अन्य वरिष्ठ वार्ड क्रमांक 48 में रमेशपाटीदार, राजूपाटीदार, हीरालाल माली, राजेशपांडे,और अन्य वरिष्ठ नेता अलग किस्म की चाल चलने वाले नेताओ में शुमार है, अब तक का राजनीतिक गठजोड़ मुख्य रूप से भाजपा के पाले में आता दिखाई दे रहा है। वही यहां कांग्रेस जात-पात, अमीर, गरीब, मजबूर लाचार की रोटियां सेकती नजर आई है। वही भारतीय जनता पार्टी के नेता सोशल मीडिया के माध्यम से माहोल तैयार करने मे लगे दिख दे रहे है। यहा भाजपा नेताओ केआदर्शो जिसमे स्वर्गीय परमानंद गोविन्दजी वाला, प्रोफेसर बृज मोहन मिश्र, अमृतलाल जी तारवाला, एवम स्वर्गीय नंदकुमार सिंह चौहान जी की व्यवहारिक, और प्रेम के आलावा धर्म निरपेक्षता के साथ विकास के मुद्दे के साथ आगे बड़े थे उसी का प्रभाव है राजनिति के हर समर में लालबाग के मतदाता ने भारतीय जनता पार्टी को शिरोधार्य रखा है, और आगे बड़ रहे है। यही कारण जनमानस ने आज का युवा वैसा ही चेहरा बनकर उभर रहे है और जनता ने इन्हे गंभीरता से ले भी रही है।
देखना यह है 240 घंटो के आसपास का मतदान की दिनांक का बचा सफर सुगमता से बढ़ता या जनसंपर्क हिचकोले खाता है । लालबाग के विकास के अब तक के वादों को देखे तो भाजपा नेताओ ने अपनी पार्टी के नेताओं को दर किनार कर कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओ को पाला पोसा है या भ्रष्टाचारी को? इसका असर कितना भोगना पड़ता है देखना यह भी है नए लालबाग का सपना दिखाकर संसदीय सीट की सीढ़ी के प्रथम पायदान पर चढ़ने के लिए प्रत्याशियों ने कितनी कमर कसी है। साप्ताहिक चलता चक्र फिर वही लिख रहा है । सियासत संभावनाओं का खेल है देखते है ऊंट किस करवट बैठता है।
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