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म्हारा घर चुनाव आयेला ये आयेला ,कोरोना थ्यारा घर जा जा जा

साप्ताहिक चलता चक्र की विशेष रिपोर्ट


खंडवा लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत देवास जिले के बागली विधानसभा क्षेत्रों के होने से इस क्षेत्र में भी सभी राजनीतिक नेताओं की आवाजाही बढ़ने लगी है. सभी पार्टी के जिला तथा प्रदेश स्तर के नेता अपने-अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर चुनावी बिगुल में आम जनता के बीच में तूफानी प्रचार प्रसार के लिए जोश भरने में लगे हुए हैं. सत्तारूढ़ पार्टी को बागली विधानसभा क्षेत्र में इस बार काफी मुसीबतों के साथ जूझना होगा. कई गांवों में अपने-अपने ग्राम की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने तक की ना सिर्फ घोषणा कर दी बरन उन्होंने चुनाव बहिष्कार के बोर्ड तक लगा दिए हैं. 


                    एक तरफ बागली क्षेत्र के कुछ राजनीतिक आका इस चुनाव में बागली को जिला बनाने के लिए कमर कस के बैठे हुए हैं, तो दूसरी तरफ घाटी के नीचे के पार्टी के वजनदार राजनीति आका बागली को जिला बनाने के पक्ष में नहीं है. उनका कहना है या तो सतवास या फिर कन्नौद को जिला बनाया जाए जिससे कि हम लोगों को सुविधा मिल सके. स्मरण रहे बागली विधानसभा का 70 फीसदि क्षेत्र कांटाफोड़, सतवास, लोहारदा, घाट नीचे आता है. यहां से बागली जाने के लिए कोई भी साधन उपलब्ध नहीं है इस कारण क्षेत्र के लोग बागली को जिला बनाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है. इस बात की भनक लगते ही जिले के कद्दावर नेता इस क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं. अपने कार्यकर्ता और वजनदार नेताओं को मनाने में लगे हुए हैं.

 घाट नीचे का यह क्षेत्र स्वास्थ्य शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ग्रसित हे. इस क्षेत्र में एक भी ऐसा स्वास्थ्य केंद्र नहीं है जहां पर थोड़ी बहुत सुविधा भी उपलब्ध हो. मामूली सी बीमारी के चलते क्षेत्र के लोगों को कन्नौद या खातेगांव या फिर हरदा और इंदौर जाना होता है जिसमें समय  के साथ बीमार पेशेंट की जान भी चली जाती है. बागली विधानसभा क्षेत्र के सतवास कांटाफोड़ और लोहारदा तीनों कस्बे बड़े बड़े होकर यहां पर एक भी सुविधा युक्त चिकित्सालय नहीं है, ना ही डॉक्टरों की पोस्टिंग है जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसी तरह इस क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत कुछ पिछड़ा हुआ क्षैत्र है। जबकि व्यवसायिक दृष्टि से देखा जाए तो बागली से कई गुना अधिक व्यापार व्यवसाय है इसके बावजूद समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. जब भी चुनाव होते हैं नेता आश्वासन दे जाते हैं इसके बाद इस क्षेत्र की और कोई पलट कर नहीं देखता है. हाल ही में मुख्यमंत्री जनदर्शन यात्रा पुनासा रोड से कांटाफोड़ तक निकाली गई जिसमें स्पष्ट झलक रहा था जनता की जन उपस्थिति को देखते हुए क्षेत्र का मतदाता सत्ता दल के राजनेताओं से ना खुश हैं। भारतीय जनता पार्टी के सत्ता के 15 साल बाद क्षेत्र का विकास नहीं होना सत्ता पक्ष के क्षेत्रीय नेताओं पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं क्षेत्र के कुछ राजनीतिज्ञ सत्ता पक्ष के नेताओं को प्रदेश स्तर का छोटा-मोटा पद देकर खुश कर दिया जाता है जिससे क्षेत्र के कद्दावर नेता खुश हो जाते हैं. सीधा सा मतलब है सत्ता पक्ष के द्वारा टॉफ़ी बाट देने से बच्चों की तरह यह राजनेता सत्ता के रंग में मिल जाते हैं क्षेत्र के विकास से अपना विकास ज्यादा चाहते हैं इस बात की भी क्षेत्र मतदाता में नाराजगी देखी जा रही है 

कांग्रेस के कोई भी वजनदार नेता क्षेत्र में अभी चुनावी प्रचार प्रसार में नहीं आया है केवल कांग्रेस के प्रत्याशी ने क्षेत्र का दौरा कर क्षेत्र के कार्यकर्ता और मतदाताओं से संपर्क किया है। जिससे कांग्रेस का प्रचार प्रसार बहुत धीमा चल रहा है जबकि कांग्रेस के पास नासिर के क्षेत्र के लिए बरन समूचे लोकसभा क्षेत्र में सरकार को घेरने के लिए सैकड़ों मुद्दे सामने है जिनके बल पर कांग्रेस अपना पैर फिर से क्षेत्र पर जमा सकती है रोजमर्रा की चीजों पर बेलगाम बढ़ते दाम गरीब के भरण-पोषण के लिए समस्या बन चुका है महंगाई के कारण आम आदमी त्रस्त है जबकि सत्ता पक्ष दूसरे अन्य मुद्दों पर फोकस करके इन मुद्दों को दबा देना चाहता है अपनी नाकामी को छुपाने के लिए नित्य नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं देखना यह है इस बार खंडवा   क्षेत्र का जनादेश किसकी झोली में जाता है। वर्तमान हालात को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्र में सक्रिय होने से सत्ता पक्ष के लिए प्रभावी जनमत मिलने की संभावना है।

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