भोपाल(स्टेट ब्यूरो) - बाघों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश के लिए साल 2021 काफी बुरा साबित हुआ है। इस साल अब तक 44 बाघों की मौत हो चुकी है। यह प्रदेश में पिछले 10 साल में मरे बाघों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इनमें से आठ मामले शिकार एवं चार बाघ के अंगों की जब्ती के हैं। देश में बाघों की मौत के मामले में महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है, पर मध्य प्रदेश में उससे भी लगभग दो गुना बाघों की मौत हो गई है और यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है। देश में बाघों की मौत का आंकड़ा मध्य प्रदेश ने ही बढ़ाया है। पिछले 10 साल में बाघों की मौत पर नजर डालें, तो प्रदेश में साल-दर-साल 24 से 33 बाघों की मौत होती रही है, पर इन सालों में पहली बार एक साल में 44 बाघों की मौत हुई है। जिसने वन्यजीव प्रेमियों को चिंता में डाल दिया है पर सरकार को कोई चिंता नहीं है। वन अधिकारी जैसा बता देते हैं, सरकार मान लेती है। सरकार ने यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि करीब आधा दशक से प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत का आखिर कारण क्या है?
कर्नाटक में एक भी मौत नहीं, मप्र में 10 मरे
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बाघ आकलन-2018 में 526 बाघ गिने गए थे। इसके साथ ही प्रदेश को वर्ष 2010 में खोया टाइगर स्टेट का तमगा मिल गया। इस बार फिर कर्नाटक से मुकाबला है। वर्ष 2018 में वहां 524 बाघ गिने गए थे और वर्ष 2010 से 2018 तक कर्नाटक ही टाइगर स्टेट रहा है। कर्नाटक में सालभर में 15 बाघों की मौत हुई है। 17 सितंबर 2021 के बाद वहां एक भी बाघ की मौत होना नहीं पाया गया। जबकि मध्य प्रदेश में इसके बाद के साढ़े तीन महीनों में 10 बाघों की मौत की पुष्टि हुई है। यदि बाघों की मौत के मामले में देश में दूसरे नंबर पर रहने वाले राज्य महाराष्ट्र की बात करें, तो वहां भी अब तक 24 बाघों की ही मौत हुई है।
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