भाजपा उच्च शिक्षा मंत्री ने अपने नेता को दी क्लीन चिट, तो कांग्रेस ने कहा 'पूरी भाजपा के कुएं में भांग घुली है'
रतलाम (ब्यूरो) - उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के बयान पर कांग्रेस का पलटवार शुरू हो गया है. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने करोड़ों के भ्रष्टाचार मे घिरे बीजेपी विधायक गुमान सिंह डामोर को क्लीन चिट दी, तो इस पर अब कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ प्रदेश सचिव ने पलटवार कर पूरी बीजेपी पार्टी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा पूरी की पूरी भाजपा के कुएं में ही भांग घुली है. भाजपा में हर नेता एक दूसरे को बचाने में लगा है. एक बड़ी टीम लगी है जो ऐसे भ्रष्टाचारी नेताओं को बचाने का काम कर रही है. कोंग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ प्रदेश सचिव हेमन्त अजमेरा ने बीजेपी को खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार मामले में न्यायालय ने संज्ञान लेकर कार्रवाई के आदेश दिए हैं और ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को बीजेपी के मंत्री मोहन यादव निष्कलंक कह रहे हैं. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. हेमन्त अजमेरा ने कहा कि 600 करोड़ के भ्रष्टचार में नाम आने के बाद ऐसी स्थिति में सांसद गुमान सिंह का इस्तीफा लेकर उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए. सरकार को न्यायालय के साथ होना चाहिए. उसके बजाए सांसद को निष्कलंक कह रहे हैं, ये शर्मनाक है.
बता दें कि मंगलवार को उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव रतलाम के शासकीय कॉलेज की नवीन भवन भूमि पूजन कार्यक्रम में रतलाम पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने मीडिया के सवालों पर सांसद गुमान सिंह को निष्कलंक बताया था. मामले में बीजेपी अब कांग्रेस के निशाने पर है.
किस पर है आरोप
बीजेपी के झाबुआ सांसद गुमान सिंह डामोर, अलीराजपुर के तत्कालीन कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा, पीएचई के कार्यपालन यंत्री और कुछ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है.इसके लिए सभी के विरुद्ध सूचना पत्र जारी कर दिए हैं. याचिकाकर्ता इंदौर के धर्मेंद्र शुक्ला ने आरोपियों पर करीब 600 करोड़ रुपए के घोटाले में लिप्त होने की बात कही है और प्रमाणित दस्तावेज भी दिए थे.
क्या है पूरा मामला
सांसद गुमान सिंह डामोर पर आरोप है कि उन्होंने इंदौर में कार्यपालन यंत्री फ्लोरोसिस नियंत्रण परियोजना के रूप में पदस्थ रहते हुए घोटोले किए. उन्होंने अलीराजपुर और झाबुआ क्षेत्र में फ्लोरोसिस नियंत्रण एवं पाइप सप्लाई मटेरियल खरीदी और अन्य कई योजनाओं के करोड़ों रुपए के बिल गलत तरीके से पास किए. ये भी आरोप है कि आदिवासी क्षेत्र में कोई फ्लोरोसिस नियंत्रण का काम हुआ ही नहीं. क्षेत्र में ना तो हैंडपंप लगवाएं गए, ना ही यूनिट स्थापना की गई.
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