भोपाल. मध्य प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भले ही निरस्त हो गए हो, लेकिन इन चुनाव के जरिए गांव की सरकार पर कब्जा जमाने की उम्मीद में लगे उम्मीदवारों को बड़ा झटका लगा है. सिर्फ प्रचार में ही नहीं बल्कि नामांकन दाखिल करने से पहले जमा होने वाले नोड्यूज के नाम पर उम्मीदवारों ने अपने बकाया बिलों की अदायगी कर दी, जिससे सरकार को करोड़ों का फायदा हो गया. दरअसल, पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह अनिवार्य किया था कि उनके ऊपर किसी भी तरीके का सरकारी राशि का बकाया ना हो जिसमें पंचायत के टैक्स और बिजली बिल के बकाया राशि शामिल थी.पहले और दूसरे चरण के पंचायत चुनाव के लिए 2 लाख 17 लाख उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए थे. नामांकन दाखिल करने से पहले उम्मीदवारों ने पंचायत में बकाया टैक्स जमा कर नोड्यूज लिया था. बिजली बिलों के बकाया राशि को भी भरने का काम किया था, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों का राजस्व मिला. एक जानकारी के मुताबिक सिर्फ ग्वालियर चंबल में बिजली कंपनी को 7 करोड़ रुपये के बकाया राशि की रिकवरी हो गई. इसी तरीके से पूरे प्रदेश में बिजली कंपनी के बकाया बिलों की रिकवरी होने पर करोड़ों रुपए का राजस्व मिला है.
बिजली कंपनी को हुआ करोड़ों का फायदा
बिजली कंपनियों को नवंबर और दिसंबर महीने में करोड़ों की रिकवरी हुई है. इसी तरीके से पंचायतों में भी टैक्स जमा होने से करोड़ों रुपए की राशि जमा हुई है. हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ कहा है कि नए पंचायत चुनाव नए सिरे से नई व्यवस्था के तहत होंगे, लेकिन नोड्यूज लेने वालों के लिए आगामी पंचायत चुनाव में भी इसका फायदा मिल सकता है. वहीं पंचायत चुनाव निरस्त होने पर 2 लाख 17 हजार उम्मीदवारों की तैयारी पर पानी फिरने को लेकर सियासत गर्म है. कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने फॉर्म भरवा कर सिर्फ सरकार के खजाने को भरने का काम किया है. सरकार को नामांकन के साथ जमा की गई राशि के अलावा प्रचार-प्रसार पर हुई उम्मीदवार की राशि की भरपाई भी करना चाहिए.
बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
बीजेपी ने कहा कि पंचायत चुनाव कांग्रेस के कोर्ट जाने पर जाने से टले हैं और ऐसे में नामांकन के साथ दाखिल हुई राशि वापस की जा रही है, लेकिन इसके अलावा जो राशि खर्च हुई है उसकी वसूली कांग्रेस पार्टी से होना चाहिए. दरअसल, प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए पहले और दूसरे चरण के नामांकन के लिए 2 लाख17000 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था. नामांकन दाखिल करने से पहले सरकारी विभागों पर बकाया राशि को जमा करने के नियमों का पालन भी किया जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की आए हुई. इसके अलावा उम्मीदवारों की तरफ से नामांकन दाखिल करने से लेकर चुनाव प्रचार तक में तो 200 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए गए, लेकिन अब पंचायत चुनाव टलने से उम्मीदवार हैरान है.
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