रीवा (ब्युरो) - मध्य प्रदेश के रीवा जिले से धांधली का बड़ा मामला सामने आया है. रीवा के कृषि उपज मंडी करहिया में आज नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा छापामार कार्रवाई की, जिसमें एक बड़ा खुलासा हुआ. यहां 2018-19 खरीदें गए धान को दोबारा से 2021-22 का टैग लगाकर बेचने के प्रयास करने की बात सामने आई है. जिसके बाद नागरिक आपूर्ति निगम ने मामले में कार्रवाई की है.
दोबारा बेची जा रही थी दो साल पुरानी धान
मध्य प्रदेश में एक तरफ कालाबाजारी रोके जाने की कई दावे किए जाते हैं, बावजूद इसके कर्मचारियों की मिलीभगत से कालाबाजारी का सिलसिला चलता ही जा रहा है, जिसको लेकर प्रशासन भी एक्टिव मोड पर आ गया है. रीवा कृषि उपज मंडी करहिया में समिति प्रबंधक के द्वारा नोडल अधिकारी की सहमति से सरकार द्वारा 2018-19 में खरीदे गए धान को दोबारा बेचने का प्रयास किया जा रहा था. जिसकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए नोडल अधिकारी को निलंबन का नोटिस भी थमाया गया है.
2021-22 टैग लगाकर बेचने की थी तैयारी
बताया जा रहा है कि मामले की शिकायत कलेक्टर रीवा के पास आई थी जिसके बाद कलेक्टर ने नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी के साथ राजस्व अमले की टीम को भेजकर खरीदी केंद्र में दबिश दी, तब मामले का खुलासा हुआ कि समिति प्रबंधक और नोडल अधिकारी के साथ मिलकर सरकार के द्वारा पूर्व में खरीदी गई धान को दोबारा बिक्री करने का प्रयास किया जा रहा है. जिसका वजन तकरीबन 135 क्विंटल था. नागरिक आपूर्ति विभाग ने बताया कि यह धान 2018-19 में खरीदी गई थी, जिस पर दोबारा 2021-22 टैग लगाकर सरकारी खाते में जमा कराया जा रहा था. जिसकी कीमत दोबारा फर्जी किसान के खाते में भुगतान की जाती.
सड़ने की स्थिति में आ गई थी धान
प्रशासनिक अधिकारियों की माने तो 2018 में खरीदी गई धान सड़ने की स्थिति में आ गई थी. लेकिन इस धान को नई बनाकर बेचने का प्रयास किया गया था. घटना के बाद समिति प्रबंधक सहित चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, वहीं नोडल अधिकारी को भी निलंबित किया गया है. लेकिन यह मामला सामने आने के बाद हड़कंप भी मचा हुआ है. क्योंकि इस तरह धान बेचे जाने के मामले से प्रशासन हैरान है. बताया जा रहा है कि अब इस तरह के मामलों में प्रशासन सख्ती बरतेगा.
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