भोपाल (ब्युरो) - स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, ‘हिजाब कोई विषय नहीं है. गणवेश विषय है. समानता और अनुशासन के लिए ड्रेस कोड है. स्कूलों में एक ही जैसा गणवेश होता है. जो लोग उसे समुदाय विशेष का विषय बना रहे हैं, आने वाले समय में उनको पछताना होगा. सीएम राइज़ स्कूलो में अगले शिक्षा सत्र से ड्रेस कोड लागू होगा. ड्रेस कोड से स्कूलों में समानता आएगी.स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध रहेगा. हिजाब बाजार और घरों में पहनें लेकिन स्कूलो में सिर्फ और सिर्फ ड्रेस कोड ही लागू होगा.’
हिजाब पहनने की अनुमति नहीं का मामला
जनवरी 2022 की शुरुआत में कर्नाटक के उडुपी में महिला पीयू कॉलेज की छह मुस्लिम छात्राओं ने आरोप लगाया था कि प्राचार्य उन्हें कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. छात्राओं ने यह भी शिकायत की कि उन्हें उर्दू, अरबी और बेरी भाषाओं में बात करने की अनुमति नहीं दी जा रही है. छात्राएं तीन दिन विरोध स्वरूप कक्षा के बाहर खड़ी हैं. छात्राओं ने दावा किया था कि उनके माता-पिता ने प्राचार्य रुद्र गौड़ा से संपर्क भी किया, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत से इनकार कर दिया.
छात्राएं परिसर में हिजाब पहन सकती हैं लेकिन कक्षा के भीतर नहीं
लड़कियों ने बताया कि पिछले तीन दिन से उनकी उपस्थिति भी नहीं दर्ज की जा रही है और उन्हें डर है कि इससे कॉलेज में उनकी उपस्थिति कम हो सकती है. वहीं, कॉलेज के प्राचार्य रुद्र गौड़ा ने कहा कि छात्राएं परिसर में हिजाब पहन सकती हैं लेकिन कक्षा के भीतर इसकी अनुमति नहीं है. इस नियम का पालन कक्षा में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है.
भगवा रंग का स्कार्फ पहन कक्षा में
चार जनवरी को कर्नाटक के कोपा स्थित सरकारी महाविद्यालय में विद्यार्थियों का एक धड़ा कथित रूप से हिजाब पहनकर आ रहीं मुस्लिम लड़कियों का विरोध करने के लिए भगवा रंग का स्कार्फ पहन कक्षा में आया था. बालागाडी स्थित राजकीय डिग्री कॉलेज ने कथित तौर पर शुरुआत में विद्यार्थियों को भगवा स्कार्फ पहनकर कक्षा में आने की अनुमति दे दी थी और लड़कियों को हिजाब नहीं पहनकर आने को कहा था. इसके बाद 10 जनवरी तक सभी को अपनी इच्छा से कुछ भी पहनकर आने की अनुमति दे दी थी. महाविद्यालय के प्राचार्य अनंत मूर्ति ने कहा था- ‘‘हम 10 जनवरी को अभिभावक-शिक्षक बैठक कर रहे हैं, जिसमें जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे. इस मुद्दे पर जो फैसला होगा, वह सभी के लिए बाध्यकारी होगा. ’’ उन्होंने कहा था, तीन साल पहले इसी तरह की बैठक में फैसला किया गया था और सभी अबतक उसका अनुपालन कर रहे थे. मूर्ति ने कहा, ‘‘सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन कल (गत सोमवार) कुछ विद्यार्थी कक्षा में अचानक भगवा स्कार्फ पहन कर आए. उन्होंने कुछ छात्राओं के परिधान पर आपत्ति जताई. ’’
ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प चुनें
इसके बाद 27 जनवरी को कॉलेज विकास समिति के उस सुझाव को खारिज कर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि अगर छात्राएं कक्षा में हिजाब पहनने के फैसले पर अडिग हैं तो ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प चुनें.
सुनवाई
1 फरवरी को एक छात्रा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करके कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया. अनुरोध किया कि उसे और उसकी अन्य सहपाठियों को कॉलेज प्रशासन के हस्तक्षेप के बिना हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए. पांच लड़कियों द्वारा भी कर्नाटक उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी तय की गई थी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश कृष्ण एस दीक्षित ने कहा कि वे संविधान के मुताबिक ही अपना काम करेंगे. उन्होंने कहा, “सभी भावनाएं किनारे रख दें. हम संविधान के हिसाब से चलेंगे. संविधान हमारे लिए भगवदगीता से ऊपर है. मैंने संविधान की जो शपथ ली है उसका पालन करूंगा.
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