धार (निप्र) - जिले के कारम बांध लीकेज बांद मामले में गठित चार सदस्यीय दल ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है. बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में ठेकेदार और अधिकारियों को क्लीनचिट देने की तैयारी कर ली गई है. हालांकि जांच दल ने पाया कि बांध के निर्माण में स्थानीय स्तर पर भारी लापरवाही बरती गई और बांध में पानी भरने में जल्दबाजी भी की गई. वहीं मैदानी स्तर पर बांध निर्माण की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले अधिकारियों की भी लापरवाही सामने आई है. उन्होंने लगातार निगरानी नहीं की. जबकि उन्हें तय मापदंड के मुताबिक हर स्तर पर बारीकी से निगरानी करनी थी. इतना ही नहीं, बीते 11 अगस्त को रक्षाबंधन था. उसी दौरान बांध में जलस्तर बढ़ रहा था. फिर भी ठेकेदार के कर्मचारी और सरकारी कर्मचारी बांध छोड़कर चले गए थे. यही कारण था कि बांध से पानी निकालने के लिए दूसरे विकल्प तलाश करने पड़े. बांध की ऊंचाई ज्यादा है. इसलिए निर्माण कार्य में अनुभवी इंजीनियरों को लगाया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. निर्माण कार्य में भी गड़बड़ी की ओर रिपोर्ट में इशारा किया गया है.
बांध की पाल में गिनाईं खामियां
जांच दल ने बांध की पाल में कई खामियां गिनाई हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि बांध की पाल काली मिट्टी से तैयार की गई है, लेकिन उसे ऊपर से पत्थर और मुरम से कवर नहीं किया गया. मिट्टी में कंकड़ भी थे, जिस वजह से पानी भरने से मिट्टी में कटाव शुरू हो गया और बांध की पाल से पानी रिसने लगा. इसके अलावा भी जांच रिपोर्ट में कई बिंदु शामिल हैं. धार जिले के भारूड़पुरा में 304.44 करोड़ की लागत से कारम नदी पर ये बांध बनाया जा रहा है, जिसमें 100 करोड़ में बांध का निर्माण किया गया और बाकि राशि में मुआवजा समेत दूसरे खर्चे शामिल किए गए. 45 एमसीएम यानि मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले इस बांध में 15 एमसीएम ही पानी भर पाया था कि 11 अगस्त को पाल से पानी रिसने लगा.
सोशल मीडिया पर बांध की फोटो और वीडियो वाइरल होते ही राज्य सरकार के अधिकारी सक्रिय हुए और बांध से पानी निकालने का फैसला लेना पडा था और इसके लिए धार और खरगोन जिले के 18 गांव खाली कराने पड़े थे. बांध से पानी निकाले जाने के बाद 15 अगस्त को सरकार ने जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार की अध्यक्षता में जांच दल गठित किया था. इसमें राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र भोपाल के वैज्ञानिक डॉ. राहुल कुमार जायसवाल, मुख्य अभियंता ब्यूरो ऑफ डिजाइन एंड हायडल, जल संसाधन भोपाल दीपक सातपुते और संचालक बांध सुरक्षा भोपाल अनिल सिंह को शामिल किया गया था. इन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. कारम डेम का पानी निकालने में ही सरकार को करीब 30 लाख रुपए खर्च करने पड़े और 100 करोड़ की लागत से बना डैम तहश नहश हो गया.
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