भोपाल (स्टेट ब्यूरो सागर मेहता) - थाने या पुलिस कार्यालयों में कौन आ रहा है, जा रहा है? कौन सा पत्र आया और कब गया? इस पर क्या कार्रवाई हुई? ऐसी ही तमाम जानकारी अब सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत मिल सकेगी. इसके लिए आवेदक को आरटीआई फीस के तौर पर महज 10 रुपए अदा करने होंगे. मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस और थानों में रखे आवक-जावक रजिस्टर की जानकारी आरटीआई में देनी होगी. सिंह ने यह साफ किया कि धारा 2 (j) (ii) के तहत हर नागरिक पुलिस के आवक- जावक रजिस्टर की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का अधिकार रखता है. इसके साथ ही सिंह ने डिस्पैच रजिस्टर को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्देश दिया है. सिंह ने मप्र पुलिस को निर्देशित किया है कि विभाग एवं थानों में सामान्य और गोपनीय मामलों के अलग-अलग आवक जावक रजिस्टर रखे जाएं.
हमारे लिए इसलिए जरूरी है पुलिस की जानकारी
सुनवाई के दौरान सिंह ने कहा कि कई बार पुलिस कार्यालय में लोग शिकायत करते हैं एवं उसके निराकरण की प्रक्रिया में आवक-जावक या डिस्पैच की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. शिकायतकर्ता को यह जानने का हक है कि उसकी शिकायत पर शासन- प्रशासन द्वारा किस तरह की क्या कार्रवाई और कब की गई? इसीलिए आवक जावक की जानकारी देने से अफसर जिम्मेदार बनेंगे.
आयुक्त ने पुलिस की दिक्कत का समाधान भी बताया
बालाघाट पुलिस ने राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह को बताया कि विभाग में सामान्य और गोपनीय जानकारी एक ही डिस्पैच रजिस्टर में रखी जाती है. आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 19 (8) (4) के तहत शासकीय विभागों में रिकॉर्ड मेंटेनेंस को रेगुलेट करने की अधिकारिता राज्य सूचना आयोग के पास है. इस आधार पर बालाघाट पुलिस के डिस्पैच रजिस्टर के अवलोकन के बाद आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि डिस्पैच रजिस्टर में गोपनीय जानकारी और सामान्य जानकारी को एक साथ दर्ज करने से कभी भी गोपनीय जानकारी की सुरक्षा दांव पर लग सकती है. दोनों तरह की जानकारियों को एक ही डिस्पैच रजिस्टर में रखना गलत है. लिहाजा, सिंह ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशासन को आदेशित किया कि पुलिस कार्यालय और थानों में गोपनीय जानकारी एवं सामान्य जानकारी के लिए अलग अलग आवक-जावक रजिस्टर मेंटेन किए जाएं.
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