मुमुक्षु श्री पवन जी कासवा रतलाम, श्री प्रांशुक जी काठेड़ हाटपिपलिया, श्री प्रियांश जी लोढ़ा थांदला हुए वितरागी
हाटपीपल्या (निप्र) - महान राष्ट्र भारत के गौरव आचार्य भगवंत पूज्य गुरुदेव श्री उमेश मुनि जी महाराज साहब की कृपा, आगम विशारद, बुद्धपुत्र, प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेंद्र मुनि जी महाराज साहब, श्री गुलाब मुनि जी महाराज साहब, संयत मुनि मसा, धर्मेंद्र मुनि म सा, संदीप मुनि मसा, आदि थाना 18 सौम्या मूर्ति मधुबाला महाराज साहब ,सरलमना मुक्तिप्रभा महाराज साहब ,संयम रुचिका स्वयंप्रभा महाराज साहब ,पुण्यशीला महा सा, आदि थाना 35 के सानिध्य में सोमवार सुबह तीनों मुमुक्षु ओं को दीक्षा दिलाई गई दीक्षा से पहले विधि विधान के अनुसार तीनों तीनों मुमुक्षुओ के केश लोचन किए गए तत्पश्चात दीक्षार्थी के वस्त्र धारण कर दीक्षा पंडाल में पहुंचे यहां पर करीबन 3 घंटे चली प्रक्रिया के दौरान दीक्षा समारोह सूत्र वाचन के साथ पारंपरिक प्रक्रिया हुई उसके बाद शिक्षार्थियों को दीक्षा के वस्त्र धारण करवाए गए इस आयोजन में देश भर से कई जगह के जैन समाज के लोग उपस्थित हुए करीब 4से5 हजार लोगों की उपस्थिति एवं संत एवं सतिया जी के पावन सानिध्य में मुमुक्षु श्री पवन जी कासवा रतलाम ने सांसारिक जीवन को त्याग आध्यात्मिक जीवन के सफर में अग्रसर हो श्री पवन मुनि जी महाराज साहब बने । मुमुक्षु श्री प्रांशुक जी काठेड़ हाटपिपलिया श्री प्रसन्न मुनि जी महाराज साहब बने । एवं श्री प्रियांश जी लोढ़ा थांदला श्री जियांश मुनि जी महाराज साहब बन दीक्षार्थी बन सामाजिक, राष्ट्रीय, धार्मिक, पार्माथिक उन्नति हेतु संत बन नगर का नाम गौरवान्वित किया । ज्ञात रहे नगर के प्रतिष्ठित कांठेड़ परिवार में जन्मे बाल मुमुक्षु प्रांशुक जी कांठेड़ विदेश में अपनी 1करोड़17लाख की सालाना पैकेज की जॉब को छोड़कर इंदौर आ गए थे अचानक ही उनका सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया था। वैसे तो 15 साल की उम्र में ही उन्होंने दीक्षा लेने का मन बना लिया था प्रांशुक का झुकाव बचपन से धार्मिक कार्यों की ओर रहा 2007 में वह जिनशासन आचार्य गौरव भगवंत पूज्य गुरुदेव श्रीउमेश मुनि जी के संपर्क में आए उनके विचारों से प्रभावित होकर उसे वैराग्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिली, तब गुरु भगवंत ने उन्हें संयम पद के लिए पूर्ण योग्य नहीं माना। इसके बाद उन्होंने धार्मिक कार्यों के साथ पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया 2016 में एक बार फिर पढ़ाई के दौरान वैराग्य धारण करने के लिए प्रयत्न किया लेकिन गुरुदेव ने और योग्य होने की बात कही ।इसके बाद वह अमेरिका चले गये वहां से डेढ़ साल पहले नौकरी छोड़ 2021 में एक बार फिर से वैराग्य धारण करने का संकल्प लेकर अमेरिका से नौकरी छोड़कर भारत आ गये । इसके बाद गुरु भगवंत के सानिध्य में रहने लगे। गुरुदेव द्वारा इस मार्ग के योग्य मानने पर प्रांशुक के माता-पिता से वैराग्य धारण करने की बात कही माता-पिता ने एक लिखित अनुमति गुरुदेव जिनेंद्र मुनि जी को दे दी देश के अलग-अलग हिस्सों से हाटपिपल्या में जैन संत आए। जिनके सानिध्य में प्रांशुकजी की दीक्षा ग्रहण हुई और प्रांशुकजी का आध्यात्मिक धारण करने का संकल्प सोमवार को खत्म हुआ। और उन्होंने आज सांसारिक मोह त्याग कर जेन संत बनने की दीक्षा ली। बाल मुमुक्षु प्रांशुक जी कांठेड़ के साथ मुमुक्षु श्री पवन जी कसवा रतलाम ,मुमुक्षु श्री प्रियांशु जी लोड़ा थांदला की दीक्षा संपन्न हुई । नगर में पहली बार दीक्षा समारोह का आयोजन हुआ जिसमें श्वेतांबर जैन समाज के तीनों मुमुक्षुओ का जैन भगवती दीक्षा शाश्वत सुख का सूर्योदय हुआ! उपरोक्त अवसर पर जैन समाज सहित सर्व समाज के महिला पुरुष बच्चे, विधायक मनोज चौधरी सहित अनेक क्षेत्रीय राजनीतिक जनप्रतिनिधि महाराज साहब के दर्शन आशीर्वाद हेतु पधारे ।
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