- लोहा स्क्रैप नाम से पंजीकृत थी फर्म,पांच फर्म इंदौर की और दो भोपाल की
- जीएसटी ने टेरर फंडिंग की आशंका में एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड में दर्ज कराया है मामला
ग्वालियर (ब्यूरो) - स्टेट जीएसटी विभाग ने प्रदेश की आठ फर्माें पर एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड में मामला दर्ज कराया है। इन सभी फर्माें पर टेरर फंडिंग किए जाने की आशंका है, जिसके चलते जीएसटी ने यह बड़ी कवायद की है। एटीएस ने इन फर्माें की जांच शुरू कर दी है। इनमें पांच फर्म इंदौर, दो भोपाल और एक फर्म ग्वालियर की है। ग्वालियर की जो फर्म ट्रैक हुई है, उसने अपने पते में यादव बाजार ग्वालियर का पता लिखवाया था, जो फर्जी है। यह फर्म किसी साजिद के नाम पर रजिस्टर्ड की गई थी और कारोबार लोहा स्क्रैप प्रदर्शित किया गया था। इसपर 2019 में कार्रवाई हुई थी और यह बोगस फर्म के रूप में ट्रैक की गई थी। प्रदेश में अब जीएसटी विभाग ने सर्कुलर ट्रेडिंग करने की जानकारी मिलते ही एटीएस को मामले की जानकारी सौंपी। ग्वालियर जीएसटी कार्यालय से इस फर्म की पूरी जानकारी भी भेज दी गई थी।
यहां बता दें कि स्टेट जीएसटी विभाग ने पांच इंदौर,भोपाल की दो और एक ग्वालियर की फर्म सहित आठ फर्माें के खिलाफ एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड में मामला दर्ज कराया है। टेरर फंडिंग की आशंका के चलते यह कार्रवाई की गई है। इन सभी फर्मों ने संदिग्ध नाम पते व दस्तावेज से छेड़छाड़ कर जीएसटी का पंजीयन ले ले लिया और एक जगह से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर दूसरी जगह भेजा जा रहा था। यह फर्में न माल मंगवातीं है न भेजतीं है बस इनपुट क्रेडिट के जरिए कैश दूसरी फर्म से ले लेतीं थीं। सरकार से मिलने वाले टैक्स क्लेम को भी ले लिया जाता है। इनपुट टैक्स क्रेडिट के घपले का यह पहला मामला नहीं इससे पहले भी प्रदेश में करोड़ों का आइटीसी घोटाला सामने आ चुका है। अब एटीएस इस मामले की जांच कर रही है।
अब संशोधन: फर्जी पते से नहीं ले पाएंगे जीएसटी पंजीयन
ऩाइस मामले में अब भारत सरकार की ओर से संशोधन कर दिया गया है जिसमें जीएसटी फर्म का पंजीयन फर्जी पते पर नहीं मिल सकेगा। इसके लिए सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है जिसमें ई-मेल और मोबाइल के जरिए फर्म रजिस्टर्ड करवाने वाले को वैरीफिकेशन कराना होगा। इस वैरीफिकेशन को कराने के बाद ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन मिल सकेगा।
लगातार बोगस फर्म आ रही हैं सामने
ग्वालियर में लगातार बोगस फर्म सामने आ रही हैं, इसको लेकर स्टेट जीएसटी की टीम स्क्रूटनी करती है। यह ऐसी फर्म होती हैं जिनके पते तक नहीं मिलते और जांच के बाद इन्हें बोगस श्रेणी में ले लिया जाता है। ग्वालियर ही नहीं अंचलभर में ऐसी फर्माें का ढेर है।
Comments
Post a Comment