साप्ताहिक चलता चक्र की घूमती खबर
कन्नौद (डेस्क) - शिक्षा के पवित्र मंदिर में भी सरकारी स्कूलों में जाकर वहां के बच्चों से क्लास के अंदर जाकर उनके बौद्धिक ज्ञान की परीक्षा ली तो हम भी दंग रह गए वहां के बच्चों को हिंदी के ज्ञान सुन्नी बटा सन्नाटा था बच्चे यह नहीं जानते उनसत्तर किसको कहते हैं? बच्चों से जब हमने यह पूछा कि आपके पिता श्री का क्या नाम है बच्चों ने बगैर सम्मान दिए अपने पिता का नाम बताया एक कक्षा में 10 बच्चों से यह बात पूछी सभी का यह उत्तर देख कर हमने उस क्लास रूम में बैठे हुए शिक्षक से जब यह पूछा कि बच्चों ने जो जवाब दिया है वह सही है या गलत शिक्षक महोदय का कहना था सर सही जवाब दिया है तो हम ने तपाक से शिक्षक महोदय से ही उनके पिता श्री का नाम पूछा उन्होंने भी बच्चों के अनुसार ही इसका उत्तर दिया जब हमने प्राचार्य से अपना यही प्रश्न दोहराया उन्होंने भी उसी भाषा में हमको उत्तर दिया आप समझ लीजिए बच्चों को किस प्रकार का ज्ञान इस शिक्षा के मंदिर में दिया जाता है जहां बड़ों के सम्मान के लिए कोई सम्मान सूचक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाए तो बच्चों में कैसे संस्कार होंगे इस बात का उत्तर हमने ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में नजारा देखा इतना ही नहीं ग्राम पानी गांव के हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य बिंगलाल चौहान के स्कूल में हमने जब प्रवेश किया तब घड़ी में कोई 12:30 बज रही थी प्राचार्य महोदय अपने कार्यालय में बैठे हुए थे बच्चे इधर उधर भाग रहे थे अर्थात स्कूल 12:30 बजे तक नहीं लगा यहां तक कि एक महिला शिक्षक का एक मासूम बच्चे को स्कूल की 4 बच्चियां खिला रही थी शिक्षक इधर-उधर घूम रहे थे जब हमने इसकी पड़ताल की तो बताया गया कि यहां पर कोई कार्यक्रम है उसमें हम सब लगे हुए हैं इसलिए बच्चे बाहर है। हमने थोड़ा हटके बाहर निकल कर बच्चों से बातचीत की यहां पर वही नजारा देखने को मिला जो पिछले स्कूल में हम देख कर आए थे बच्चे हमारे प्रश्नों का उत्तर सही मायने में नहीं दे रहे थे अर्थात ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की हालत का हाल जानने के बाद प्राचार्य कक्ष में प्राचार्य स्वयं कुछ प्रश्न करना चाहा साफ तौर से उन्होंने प्रश्नों का उत्तर देने से मना कर दिया। हमने आईआरटी के अंतर्गत कुछ प्रश्न बनाकर प्राचार्य को मेर द्वारा पूछने के लिए दिया तो उन्होंने साफ तौर से मना कर दिया कि मैं आपका यह कागज स्वीकार नहीं करूंगा आपसे बने जो कर लो मैं आदिवासी हूं और मैं चाहु तो आपके खिलाफ अभी पुलिस में शिकायत कर सकता हूं। प्राचार्य को हमारे आने की सूचना संभवत पहले ही मिल गई होगी क्योंकि हमने इसी ग्राम के पहले थूरिया,जागठा के स्कूलों में जाकर हालात देखे थे वहां के शिक्षकों ने उनको सूचना दे दी होगी। उसी का परिणाम था अपने स्कूल की कमजोरी को दबाने के लिए शिक्षक महोदय जातिवाद पर उतर आए हैं। हमने उन्हीं के स्कूल के कुछ स्टाफ के लोगों से भी चर्चा की अंदरुनी रूप से उन्होंने बताया कि प्राचार्य महोदय अपनी मनमर्जी से यह स्कूल चलाते हैं यहां पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में भी भाई भतीजावाद चला है बहुत सी अनियमितता है इस स्कूल में देखने को मिल सकती है उसी आधार से हमने प्राचार्य कोआय आर टी के अंतर्गत सबाल पूछते हुए पत्र सौंपा जो उन्होंने लेने से मना कर दिया। हजारों रुपया वेतन लेने वाले विद्यालय के सरकारी टीचर बच्चों को क्या पढ़ाते होंगे इसकी बानगी देखने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के आदावासी इलाकों में हमने पहली बार भ्रमण कर वहां की स्थिति को जब आंखों से देखा तो शिक्षा के जो हालात देखने को मिले वह स्थिति बड़ी शर्मनाक है जब वहां के बच्चे को शिक्षा देने वाले को साधारण सी बातें नहीं मालूम तो वह बच्चों में कैसा ज्ञान बांटते होंगे इस बात को लेकर आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं इस बात को हमने जिला प्रशासन एवं जिला शिक्षा अधिकारी को हालातों से अवगत कराने के लिए फोन पर संपर्क करना चाहा किंतु दोनों ही अधिकारी के फोन व्यस्त आते रहे इस कारण तत्काल संपर्क स्थापित नहीं हुआ जो समाचार के माध्यम से हमने दर्शाने का प्रयास किया है क्या जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी हमने जिन स्कूलों का भ्रमण किया केवल उसमें ही जाकर बच्चों के साथ बैठकर वहां चल रही स्थिति का आकलन करेंगे।
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