जल जीवन मिशन के अंतर्गत बनाई गई पानी की टंकी और मोटर का अता-पता नहीं
देवास (ब्यूरो) - देवास जिले के खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल भवन में जल जीवन मिशन के अंतर्गत बनाए गए पीने के पानी के स्टैंड पानी के लिए मोटर और टंकी का काम जिस एजेंसी ने किया था घोर लापरवाही सामने आ रही है। हमने इस विधानसभा के कोई 25 से अधिक ग्रामों का दौरा कर प्रत्येक स्कूल में जाकर देखा कहीं पर नल नहीं थे तो कई पर स्टैंड टूटा हुआ था अधिकांश स्थानों पर मोटर का अता-पता नहीं था को कहीं पर पानी की टंकी चोर चुरा ले गए अव्यवस्थित व्यवस्था के साथ जल जीवन मिशन के अंतर्गत किए गए कार्य गुणवत्ता हीन होने के बाद अनेक स्थानों से घोर लापरवाही की बात सामने आई है यह भी पता चला है कि अनेक ग्रामों में जो मोटर लगाई गई थी उसको कुछ समय बाद इस एजेंसी के द्वारा ही वहां से निकालकर कई अन्य यंत्र स्थानों पर लगा दी गई अर्थात खानापूर्ति करने के लिए कुछ समय के लिए पानी की मोटर का उपयोग किया गया इसके बाद बगैर बताए मोटर निकाल कर ले गए। कई ग्रामों में स्कूलों के अंदर विद्युत व्यवस्था नहीं होने से वहां पर केवल स्टैंड बना कर छोड़ दिया रेकार्ड में काम पूर्ण होना बताकर वहां का पैसा भी एजेंसी के द्वारा शासन से ले लिया गया है जबकि वास्तविकता तो यह है कि वह शाला भवन में विद्युत कनेक्शन ही नहीं है जिससे कि मोटर के माध्यम से पानी भरकर बच्चों को पिलाया जा सके।
सतवास तहसील के ग्राम नारायणपुरा टांडा टीपरास बरखेड़ा नामनपुर सहित दर्जनों गांव में जल जीवन मिशन के अंतर्गत भारी अनियमितता देखने को मिल रही है। जबकि शासन में प्रत्येक विद्यालय में जल जीवन मिशन के अंतर्गत पानी की टंकी मोटर पाइप लाइन और पीने के लिए नल स्टैंड बनाकर गुणवत्ता के साथ देने की बात की गई थी किंतु जिस एजेंसी ने यह काम किया केवल औपचारिकता निभाने के लिए बन जाने के बाद फोटो लेकर शासन की फाइल में शोभा बनाने के लिए काम किया गया है कुछ ही दिनों में इस योजना के अंतर्गत कराए गए कार्य का ढूंढने से भी पता नहीं चलेगा। जिला प्रशासन गंभीरता के साथ खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम के केवल स्कूल भवनों को ही जांच के दायरे में लाकर इस बात की सत्यता को देख सकते हैं। कई स्कूलों में बाउंड्री वाल नहीं होने से हमारे प्रतिनिधि ने स्कूल भवन के आसपास शराब की बोतले और भारी गंदगी देखी जब इस पर विद्यालय के प्रमुख से बातचीत की गई उन्होंने बताया कि यहां पर हम लोग सप्ताह में एक बार साफ सफाई करते हैं शासन की तरफ से चपरासी की व्यवस्था नहीं है बच्चों से सफाई कार्य करवा नहीं सकते हम स्वयं इस विद्यालय के आसपास सफाई करते हैं बाउंड्री वाल नहीं होने के कारण असामाजिक तत्व लोग यहां पर बैठकर शराब वगैरह पीते हैं और गंदगी करते हैं यहां तक की शराबी लोग लेटरिंग भी कर जाते हैं जिसको हमारे द्वारा साफ किया जाता है। लाखों रुपए की लागत से बनाए गए शाला भवन के सुरक्षात्मक प्रबंध नहीं होने के कारण अनेक स्कूलों के हालात इस तरह के देखने को मिल रहे हैं।
मिडिल तथा प्राइमरी स्कूल के प्रधान अध्यापकों ने बताया कि शाला भवन के मरम्मत एवं रंगाई पुताई के लिए शासन की तरफ से ₹1 भी इस संस्था को नहीं मिलता है हम शिक्षकों को अपने वेतन से इस खर्च को वहन करना पड़ता है। एक विद्यालय में तो एक शिक्षक ने बताया कि 2 माह पहले ही में इस विद्यालय में आकर ज्वाइन हुआ हूं यह स्कूल में बच्चों को बैठने वाला फर्श टूटा हुआ पड़ा था मैंने अपनी वेतन से सीमेंट लाकर और रेती की व्यवस्था करके समूचे फर्श को अपने ही हाथों से तैयार किया जिस पर आज बच्चे बड़े आराम से बैठ रहे हैं शाला भवन के दरवाजे खिड़की आदि टूटे पड़े हुए थे जिनको हमने हमारे वेतन से सुधारा सही रूप से विद्यालय की सुरक्षा की व्यवस्था की है। जिला कलेक्टर के भ्रमण की जब बात निकली अधिकांश शिक्षक जिला कलेक्टर के अपने क्षेत्र में भ्रमण की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिससे कि विद्यालय की समस्या और आ रही परेशानी को जिला कलेक्टर महोदय के संज्ञान में लाकर दूर किया जा सके।
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