इंदौर (ब्यूरो) - सरकार गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए शासकीय अस्पतालों में मुफ्त दवाएं भेज रही है, लेकिन यह दवाएं जरूरतमंदों को न मिलकर निजी अस्पतालों में जा रही हैं। फिर निजी अस्पताल इन्हें बेचकर पैसा बना रहे हैं। शहर के नगीन नगर के साहेब कबीर अस्पताल में ऐसा ही मामला सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग और दवा निरीक्षकों ने जांच की तो अस्पताल के मेडिकल स्टोर (कबीर मेडिकल स्टोर्स) पर शासकीय योजनाओं में मरीजों को मुफ्त दी जाने वाली दवाइयां पाई गईं। इसमें मध्यप्रदेश के शासकीय अस्पतालों से मुफ्त वितरित की जाने वाली औषधियों के साथ ही केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं और हास्पिटल सप्लाई की दवाइयों का भंडारण भी पाया गया।
एक्सपायरी दवाएं भी मिली साथ में
यह मेडिकल स्टोर अस्पताल परिसर में ही संचालित है। जांच के लिए पहुंचे दवा निरीक्षकों ने मेडिकल स्टोर के संचालक गोपालसिंह तोमर से शासकीय दवाओं के बारे में पूछा तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। उनका कहना था कि कोई लड़का आता है और यह दवाएं दे जाता है। मेडिकल स्टोर में एक्सपायरी दवाएं भी बिक्री योग्य दवाओं के साथ ही रखी गई थीं। एक्सपायरी दवाओं को रखने के लिए अलग स्थान चिन्हित नहीं किया गया था। सारी दवाएं एक-दूसरे के साथ बेतरतीब तरीके से रखी गई थीं।
मेडिकल स्टोर में थी गंदगी
कुछ उपयोग की गई दवाएं भी मिलीं, जिनकी स्ट्रिप में से एक-दो टेबलेट निकाली गई थी और बाकी यूं ही पड़ी हुई थीं। मेडिकल स्टोर में गंदगी भी पसरी हुई थी। जांच के लिए पहुंचे दवा निरीक्षकों अनुमेहा कौशल और अलकेश यादव ने मेडिकल स्टोर संचालक से इन सभी दवाओं की खरीदी-बिक्री के दस्तावेज मांगे लेकिन वे पेश नहीं कर सके।
14 प्रकार की दवाएं हुई जब्त
स्टोर से 14 प्रकार की दवाएं जब्त की गई हैं। इनमें जेमिनोर एम-टू फोर्ट, बायोफिलेक प्री एंड प्रोबायोटिक, रेनिटीडाइन हाइड्रोक्लोराइड टेबलेट्स, मैक्सिकल गोल्ड कैप्सूल, क्लोट्रीमेजोल वेजीनाल, लेबेटालोल, एम्लोडिपिन, डेक्सासी, ओंडासेट्रान, बीसीजी वैक्सीन आदि शामिल हैं। साथ ही एक्सपायर दवाओं में जिमेट्रेक्स इंजेक्शन, महाबेंड प्लस सस्पेंशन, डेपिन रिटार्ड टेबलेट्स, गरिमा ग्लिसरिन, आक्सीप्रो इंजेक्शन, फोलिपिक टेबलेट्स, इकोस्प्रिन मिली। मेडिकल स्टोर संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इससे पहले जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. पूर्णिमा गडरिया और उनकी टीम भी अस्पताल की जांच के लिए पहुंची थी, लेकिन उनकी जांच में क्या पाया गया, यह स्पष्ट नहीं हो सका। बाद में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम जांच के लिए पहुंची थी।
अधिनियम का उल्लंघन, हो सकती है दो साल की सजा
साहेब कबीर अस्पताल में चल रहे कबीर मेडिकल स्टोर का यह कृत्य औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम-1940 एवं नियमावली-1945 का उल्लंघन है। यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 18 (ए)(छह) का उल्लंघन है। इसमें दो साल तक की सजा और 20 हजार रुपये जुर्माने का प्रविधान है। जांच दल ने दवाइयां जब्त करने के बाद जिला न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी से इनकी अभिरक्षा प्राप्त की। एडीएम डा. अभय बेडेकर ने बताया कि दवा निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि मामले में जल्द जांच करके सक्षम न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया जाए। फर्म ने कारण बताओ सूचना-पत्र का जवाब संतोषजनक नहीं दिया तो स्वीकृत औषधि विक्रय लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।
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