जबलपुर (ब्यूरो) - मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का दंगल शुरू हो चुका है। इस बार सिर्फ दो पहलवान मैदान में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस पार्टी के सीएम कैंडिडेट कमलनाथ। दोनों ही कड़ी मेहनत कर रहे हैं और दोनों के बीच रेस लगी हुई है। कल शुक्रवार की रात तक कमलनाथ, आगे चलते हुए दिखाई दे रहे थे तभी शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनावों से ठीक पांच महीने पहले मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। उन्होंने जबलपुर में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत 1.25 करोड़ पात्र महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये ट्रांसफर किए। यह वादा भी किया कि जैसे-जैसे पैसे आते जाएंगे, यह राशि बढ़ाई जाएगी और तीन हजार रुपये महीने तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी योजना है कि हर बहन की आमदनी 10 हजार रुपये प्रतिमाह हो, वह लखपति हों। शिवराज सिंह चौहान की इन दो घोषणाओं ने कमलनाथ को चिंता में डाल दिया है। ताजा फोटोग्राफ में उनकी चिंता साफ दिखाई भी दे रही है।
मामला लाडली बहना योजना का है। इस योजना के सहारे आम आदमी पार्टी ने पंजाब में सरकार बना ली थी। इसी योजना के सहारे कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में सरकार बना ली है। मध्यप्रदेश में, इससे पहले कि कमलनाथ घोषणा करते, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना लांच कर दी। इसके जवाब में कमलनाथ कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना का ऐलान किया। लाडली बहना योजना में ₹1000 तो नारी सम्मान योजना में ₹1500 की घोषणा की गई। इसके साथ ₹500 में रसोई गैस सिलेंडर और 100 यूनिट बिजली फ्री के कारण कमलनाथ आगे चल रहे थे। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली योजना के तहत ₹3000 की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं योजना के लिए पात्र महिलाओं की आयु सीमा घटाकर 21 साल कर दी। अभी इस योजना में काफी कुछ करने की गुंजाइश बाकी है। कुल मिलाकर शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को एक लंबी छलांग लगाई और कमलनाथ से आगे निकल गए। अब देखना यह है कि कमलनाथ के पिटारे से क्या कुछ नया निकलता है लेकिन फिलहाल तो शनिवार की शाम कमलनाथ के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है।
इसलिए है मास्टर स्ट्रोक
नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए लाड़ली बहना योजना को मास्टर स्ट्रोक समझा जा रहा है। ऐसा क्यों? इसे समझना है तो 2018 के चुनाव परिणाम देखने होंगे। उस वक्त भाजपा को 1.56 करोड़ वोट मिले थे और कांग्रेस को 1.55 करोड़ वोट। प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 41.02% और कांग्रेस को 40.89% वोट। यानी ओवरऑल भाजपा और शिवराज का पलड़ा भारी ही था। फिर कुछ सीटों पर करीबी मुकाबलों ने कांग्रेस को भाजपा के आगे लाकर खड़ा कर दिया। इसका मतलब है कि वोट प्रतिशत अधिक होने के बाद भी महज कुछ सीटों के अंतर से भाजपा सरकार बनाने से वंचित रह गई थी। 2018 के चुनाव नतीजों में यह देखने में आया कि मध्य प्रदेश की 230 में से 51 विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने वोटिंग में पुरुषों को पीछे छोड़ा था। इनमें करीब 80% सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। यानी महिलाओं की पहली पसंद शिवराज ही थे, कांग्रेस नहीं। इसी को आधार बनाकर भाजपा ने 2023 की रणनीति बनाई है। हितग्राहियों की राजनीति पर भरोसा किया जा रहा है। गुजरात में हितग्राहियों को पन्ना समितियों में रखकर भाजपा ने विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की थी और उसी को यहां दोहराने की तैयारी है।
रणनीति को ऐसे समझिए कि 2023 का नया इलेक्टोरल रोल कहता है कि 2018 के मुकाबले महिला वोटरों का अनुपात बढ़ा है। 2018 में जहां एक हजार पुरुष वोटर्स पर 898 महिला वोटर थीं, 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 931 हो गया है। इस समय 2.79 करोड़ पुरुष वोटर हैं तो 2.60 करोड़ महिला वोटर हैं। इसमें भी 1.25 करोड़ महिला वोटर तो लाड़ली बहना योजना की हितग्राही बन चुकी हैं। अन्य 1.35 करोड़ महिलाओं में से 40 लाख से अधिक महिलाएं राज्य सरकार की किसी न किसी योजना का लाभ ले रही हैं। यह आंकड़ा शिवराज के पक्ष में काम करेगा।
कांग्रेस भी होड़ में
प्रदेश में महिला वोटरों का गणित कांग्रेस भी समझती है। उसने भी लाडली बहना योजना की घोषणा होते ही 1500 रुपये देने की बात रख दी। कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश में उसकी सरकार बनने पर 'नारी सम्मान योजना' शुरू होगी. इसकी पात्र महिला के खाते में 1500 रुपये हर महीने सरकार जमा करवाएगी। कमलनाथ ने उन महिलाओं पर भी फोकस किया है, जिन्हें शिवराज सरकार ने पात्रता के नाम पर पीछे रखा है। भाजपा ने अपनी योजना में 23 साल से 60 साल की उम्र की महिलाओं को योजना का लाभ देने का प्रावधान किया है, कांग्रेस अपनी योजना में 18 से लेकर 60 साल की उम्र की महिलाओं को योजना का लाभ देगी। साथ ही विवाहित और अविवाहित दोनों तरह की महिलाओं को योजना से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा कांग्रेस ने गैस सिलेंडर भी 500 रुपये में देने का वादा कर दिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने 100 यूनिट तक बिजली माफ, 200 यूनिट तक बिल हाफ की है। देखना है कि जनता इस बार क्या फैसला लेती है।
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