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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदले गए तो चार नाम, तोमर, विजयवर्गीय के अलावा दो ब्राह्मण चेहरे मिश्र और शुक्ला के नाम भी सुर्ख़ियों में



भोपाल (स्टेट ब्यूरो) - मध्यप्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव की संभावनाओं को लेकर एक बार फिर चर्चा है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जगह पहले अध्यक्ष रह चुके नरेंद्र सिंह तोमर या संगठन के जानकार कैलाश विजयवर्गीय को कमान दी जा सकती है। इनके अलावा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर दो नाम हैं। बदलाव की यह चर्चा दिल्ली में बीजेपी के तीन शीर्ष नेताओं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष की बैठक के बाद सामने आई है। इस बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित 5 राज्यों में चुनाव की तैयारी को लेकर बात हुई। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तीनों नेताओं ने संगठन के खाली पदों को भरने के साथ ही मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों में संगठनात्मक बदलाव पर चर्चा भी की। 

पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि हाल ही में कर्नाटक चुनाव के नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं रहे हैं। माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव के नतीजे को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी नाखुश थे। इसके पीछे कमजोर संगठन को माना जा रहा है। बीजेपी ने तीन महीने पहले राजस्थान, बिहार सहित चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं, जबकि चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष को आठ महीने पहले ही बदल दिया था। शर्मा का 3 साल का कार्यकाल इसी साल 15 फरवरी को पूरा हो चुका है। उनके एक्सटेंशन की कोई घोषणा अब तक नहीं हुई है। इससे पहले जिस राज्य में भी अध्यक्ष को एक्सटेंशन दिया, वहां इसकी घोषणा कर दी गई थी। बिना घोषणा के प्रदेश अध्यक्ष के इतने लंबे एक्सटेंशन का दूसरा उदाहरण नहीं है। शिवराज सिंह चौहान 13-14 जून को दिल्ली जा सकते हैं l उनके इस दौरे को प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से जोड़कर देखा जा रहा है 

तोमर संघ, बीजेपी नेतृत्व व शिवराज की पहली पसंद

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि मिशन 2023 को सफल बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की प्रदेश में भूमिका बढ़ा सकती है। तोमर केंद्रीय मंत्री रहते हुए ही संगठन की कमान संभाल सकते हैं। वर्ष 2008 और वर्ष 2013 में तोमर के हाथों में ही राज्य भाजपा की कमान थी। दोनों चुनावों में शिवराज और तोमर की जोड़ी ने शानदार परिणाम दिए थे। तोमर कई राज्यों के चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं, इसलिए पार्टी स्तर पर यह विचार चल रहा है कि उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर लाया जाए।

तोमर का माइनस पाॅइंट- वे दो मर्तबा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और फिलहाल केंद्र में मंत्री हैं। एक साथ दो पद पार्टी की गाइड लाइन में नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ेंगे, इसकी संभावना कम है।

इसलिए विजयवर्गीय पर दांव लगा सकती है बीजेपी

बीजेपी अध्यक्ष बनने को लेकर जिन तीनों नाम को लेकर चर्चा हो रही है, उसमें राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं। विजयवर्गीय को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपे जाने का प्रमुख कारण यह भी है कि उन्होंने बीते पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बेहतर रणनीति बनाकर पार्टी को वहां अधिक सीटें दिलवाने में सफलता प्राप्त की है। यही नहीं, विजयवर्गीय का प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं, मंत्री, विधायकों से बेहतर तालमेल है। ऐसे में आलाकमान निचले स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए विजयवर्गीय को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप सकती है। गौरतलब है कि विजयवर्गीय दिल्ली में बैठने के बावजूद भी लगातार प्रदेश में सक्रिय रहते हैं। यहां के सियासी गणित से अच्छी तरह वाकिफ हैं। यही वजह है कि पार्टी नेताओं में चल रहे आपसी मनमुटाव को दूर करने की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई।

विजयवर्गीय माइनस पाॅइंट- पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन बीजेपी को सफलता नहीं मिलीl मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कैलाश विजयवर्गीय राजनीतिक संबंध उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं।

अड़ंगों की सियासत में ब्राह्मण चेहरा हैं नरोत्तम मिश्रा

राजनीति के जानकार मानते हैं कि मध्यप्रदेश बीजेपी में नरोत्तम मिश्रा वैसे तो सर्व स्वीकार्य नेता नहीं माने जाते, लेकिन हाल के दिनों में प्रदेश बीजेपी में एक 'फ्यूचर लीडर' की तलाश चल रही है। मिश्रा छह बार से विधायक हैं। दतिया विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आते हैं। वे मध्यप्रदेश की सियासत में बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। शिवराज सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं। जानकार मानते हैं कि अब बीते कुछ दिनों से 'शिवराज-विरोधी' कैंप के चेहरे के तौर पर जाने जा रहे हैं। उनके बयानों में एक गौर करने वाली बात यह है कि वो 'प्रो-हिंदू' बात ज्यादा, 'एंटी मुस्लिम' बात कम करते हैं। यानी वो आरएसएस का स्टाइल अपना रहे हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा प्रदेश की राजनीति में एक समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संकटमोचक कहलाते थे। सियासत के गलियारों में उन्हें मैनेजर माना जाता था। उस समय नरोत्तम संयमित और नपे-तुले बयान दिया करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से उनके बयानों में तल्खी आई है।

शुक्ला अध्यक्ष बने तो विंध्य-महाकौशल में फायदा

जानकार मानते हैं कि यदि राजेंद्र शुक्ला को अध्यक्ष बनाया जाता है, तो बीजेपी विंध्य के साथ-साथ महाकौशल भी साध लेगी। शुक्ला के नाम पर शिवराज सहमत हो जाएंगे। अन्य नेताओं की तरफ से उनका विरोध नहीं होगा। पिछले चुनाव के आंकड़े देखें, तो प्रदेश के छह अंचलों में विंध्याचल एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जहां बीजेपी ने पिछले चुनावों से कहीं अधिक बेहतर प्रदर्शन किया। यहां की 30 सीटों में से उसे 24 पर जीत मिली, लेकिन 2013 में विंध्य में प्रदर्शन सबसे कमजोर था। तब 30 में से 17 सीटें जीती थीं। इस बार 7 सीटें बढ़ी हैं, लेकिन महाकौशल में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। पूरे अंचल की बात करें तो 38 सीटें हैं। कांग्रेस 23, भाजपा 14 और 1 निर्दलीय के खाते में गई। पिछली बार कांग्रेस 13, भाजपा 24 और 1 निर्दलीय को मिली थी।

मोदी कैबिनेट से ड्रॉप हो सकते हैं दो मंत्री, नए शामिल होंगे

पार्टी के वरिष्ठ नेता बता रहे हैं कि सत्ता और संगठन में संभावित बदलावों पर शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद मोदी कैबिनेट में फेरबदल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो मप्र के दो से तीन मंत्रियों को ड्रॉप करने और नए चेहरों को शामिल किए जाने पर विचार होगा। संभावना है कि महाकौशल अंचल से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को संगठन में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है। उनके स्थान पर जबलपुर से तीन बार के सांसद राकेश सिंह को मोदी की टीम में जगह मिल सकती है। फग्गन सिंह को गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। इसी तरह राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी को भी मोदी अपनी टीम में शामिल कर सकते हैं।

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