चुनाव से पहले बड़े विकास के वादे हो रहे जमीदोज, परिषद् गठन के 1 वर्ष बाद भी विकास को तरसता कांटाफोड़
कांग्रेस बीजेपी के आपसी मतभेद बड़ा कारण
कांटाफोड़ (राजेंद्र तंवर) - चुनाव से पहले जनता के बीच में जाकर बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता चुनाव जीतने के बाद किए हुए विकास वादों का कितना ध्यान रखते हैं इसका उदाहरण नगर कांटाफोड़ में देखने को मिलता है। नवीन नगर परिषद को शपथ लिए लगभग 1 वर्ष पूर्ण हो चुका है इन 1 वर्षों में कांटाफोड़ में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। कांग्रेस व बीजेपी की आपसी फूट ने नगर विकास को जमीजोद कर दिया। लगभग 1 वर्ष पूर्व नगर की जनता ने कांग्रेस को नगर परिषद बहुमत दिया था उसके बाद नगर परिषद में कांग्रेस का कब्जा हुआ जनता को नवीन नगर परिषद से नगर विकास की बहुत उम्मीदें थी लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के बाद कोई विकास की किरण कांटाफोड़ में देखने को नहीं मिल रही है। बल्कि कांग्रेस बीजेपी के आपसी मतभेद ने नगर को और पीछे धकेल दिया है। नगर मूलभूत सुविधाओं के साथ ही कॉलेज बड़े उद्योग तहसील टप्पा को भी तरस रहा है।
नगर का मुख्य मार्ग व्यापक समस्या
कई महीनों पूर्व मुख्य मार्ग निर्माण के नाम पर पक्के निर्माण ढहाए गए थे। लेकिन लगभग 1 वर्ष बीतने को है उसके बाद भी मुख्य मार्ग का निर्माण कार्य प्रारंभ तक नहीं हो पाया। बिजली के खंभे हटाने का टेंडर भी दिया गया लेकिन वह कार्य भी आज तक होने नहीं हो सका। जो खंबे हटाए गए वे भी कई जगह गिर चुके हैं।
जीरो ट्रैकिंग के बाद भी आवास की किस्त नहीं आई
आवास योजना में भी हितग्राहियों की जीरो ट्रेकिंग के 6 महीने बाद भी आवास योजना की तीसरी किस्त प्राप्त नहीं हो पाई है। परिषद में जाकर जब इस बात का जिक्र हितग्राही के द्वारा किया जाता है तो ऊपर शासन से ही पैसे ना आने की बात कह दी जाती है। चुनाव से पहले जनता को भगवान बताने वाले यह नेता चुनाव के बाद उन से चक्कर लगवाते हैं।
कांटाफोड़ को नहीं मिला पॉलीटिकल कॉलेज या अन्य कॉलेज
विधानसभा चुनाव में लगातार भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के हैं पहाड़ सिंह कनोजे विधायक हैं। लेकिन कांटाफोड़ लगातार विकास में पिछड़ रहा है पूर्व मंत्री दीपक जोशी के द्वारा भी लगातार कांटाफोड़ क्षेत्र में पॉलीटिकल कॉलेज खोलने की बात की जाती थी हालांकि अब वह खुद ही कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। लेकिन आज तक क्षेत्र की जनता को ना तो कोई कॉलेज और ना ही कोई बड़े उद्योग की सौगात मिल पाई। क्षेत्रीय विधायक की ओर से भी इस बात का जिक्र कभी भी नहीं किया गया।
तहसील टप्पा तक नहीं बन पाया नगर
लगातार विकास में पिछड़ता कांटाफोड़ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते तहसील टप्पा तक बन नहीं पाया। बल्कि नगर से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित सतवास को तहसील का दर्जा सहित कॉलेज हॉस्पिटल जैसी कई सौगातें मिल चुकी है। जबकि उसके विपरीत नगर का शासकीय अस्पताल सिर्फ बाहर से देखने में ही अच्छा लगता हैं सुविधा के नाम पर वहा कोई भी चीज उपलब्ध नहीं है यहां तक मनुष्य के जीवन की सबसे आवश्यक वस्तु आक्सीजन सिलेंडर भी हॉस्पिटल में नहीं रहता ,सभी सिलेंडर हर समय खाली ही रहते है। सुविधाओ के आभाव में मरीजों को छोटी सी जांच के लिए भी बाहर जाना पड़ता है।
सोशल मीडिया पर ही आरोप प्रत्यारोप करते नजर आते है नगर के जनप्रतिनिधि
नगर के जनप्रतिनिधि अधिकांश समय सोशल मीडिया पर ही एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आते हैं। नगर नगर और जनता के विकास के लिए उनके पास समय नहीं रहता आज नगर का मुख्य मार्ग इसी जंगल के रास्ते से कम नहीं है। बस स्टैंड से लगाकर नगर की नदी तक का मार्ग गड्ढों में इतना बुरी तरह से तब्दील हो गया है कि बारिश में पैदल चलना आसान नहीं होता। नगर को गड्ढों और जाम से निजात दिलाने के लिए लोगों के पक्के आशियाने तोड़े गए थे लेकिन स्थिति आशियाना तोड़ने के बाद भी जस की तस है जाम और गड्ढे अभी भी इतने दिन गुजर जाने के बाद नगर में परेशानी का सबब बनते हैं।
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