सनातन धर्म में तिथियों के असमंजस पर समन्वय बनाने के लिए संत समाज की पहल, रेवा खंड में माघ मास में शुरू होगा कल्पवास
नर्मदा जंयती की तारीख को लेकर संतो और ब्राह्मणों का महत्वपूर्ण निर्णय "15 फरवरी को संपूर्ण रेवाखंड में मनायी जाएगी नर्मदा जंयती"
बड़वाह (ऋतेश दुबे ) - गुरुवार सुबह 11 बजे धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री कल्याण आश्रम पर डॉ कल्याणी चैतन्य ब्रह्मचारिणी 'अम्मा जी' की मासिक पुण्यतिथी के अवसर पर संत महंत और विद्वतजन के साथ प्रेसवार्ता आयोजित हुई। पर्वों और त्योहारों को लेकर सनातन समाज में फैले असमंजस को दूर करने के उद्देश्य से संत समाज और वैदिक विद्वानों के मध्य शास्त्र सम्मत परिचर्चा हुई। लोक मत, शास्त्र मत और विभिन्न ग्रंथो के तिथि निर्णयों पर सभी संतजनो का शास्त्रार्थ हुआ। आगामी नर्मदा जयंती के आयोजन को लेकर सभा ने एकमत से निर्णय लिया कि 15 फरवरी को समस्त रेवा खंड में नर्मदा जंयती मनायी जाएगी। धर्म सम्राट स्वामी करपात्री कल्याण आश्रम के महंत सच्चिदानंद महाराज ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि "मॉ नर्मदा माघ शुक्ल सप्तमी को मध्याह्न मे प्रकट हुई थी, एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ अनुसार षष्ठिया युता सप्तमी च कर्तव्या तात सर्वदा वचन अनुसार प्रमाणित रूप से लोक विधा औऱ शास्त्र मत से मॉ नर्मदा का जन्मोत्सव मध्यान्ह व्यापिनी माघ शुक्ल सप्तमी ग्राह्य है जो कि आंग्ल तारीख में 15 फऱवरी 2024 है। इसीलिए पुण्य लाभ अर्जित करने वाले भक्तो को 15 फरवरी को ही नर्मदा जंयती पर पूजन अर्चन आदि करना चाहिए। समस्त साधु संत अपने अपने आश्रम पर 15 तारीख को ही नर्मदा पूजन कर जयंती मनाएगें। " इसके साथ ही आगामी वर्ष के समस्त तिथी व्रत त्यौहार एकमत से एक दिनांक पर निर्णय करने हेतु धर्म संघ तत्वाधान में आचार्य एवं विद्वत जनों की रेवा खंड विद्वत परिषद का गठन किया गया, अखिल भारतीय संत समिति अध्यक्ष श्री सुरेंद्र गिरी जी महाराज, महामंडलेश्वर लोहा लगंडी श्री बालक दास जी महाराज, महामंडलेश्वर श्री रामसेवक दास शास्त्री जी महाराज, मंहत श्री हनुमान दास जी महाराज, महेंद्र पुरी जी महाराज एवं संतो विद्वानो के मध्य ये निर्णय लिया गया। इसके साथ ही माघ माह में गुप्त नवरात्र में नर्मदा जंयती का पुण्य अवसर आता है इसिलिए गुप्त नवरात्र को रेवा नवरात्र घोषित किया गया साथ ही माघ मास कल्पवास को लेकर भी संतो के मध्य एकमत निर्णय लिया गया। 15 जनवरी को ध्वजारोहण के साथ सभ संतो का कल्पवास आरंभ होगा। एक मास तक सभी संतजन मैया के किनारे साधना एवं धामिक अनुष्ठान सम्पन्न करेंगे।
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