भोपाल (ब्यूरो) - मध्य प्रदेश की सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 42,500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। वहीं, मोहन यादव की नई सरकार ने केवल तीन महीनों में 17,500 करोड़ रुपए लिए हैं। फिर भी नई सरकार में कुछ मंत्री नई कार चाहते हैं। कर्ज में डूबी सरकार के मंत्रियों ने अपनी डिमांड रख दी है। एमपी स्टैट गैराज के अधीक्षक ने बातचीत के दौरान इसकी पुष्टि की है। एमपी स्टेट गैराज के अधीक्षक आदित्य कुमार रिछारिया ने कहा कि मंत्रियों ने नई कारों की मांग की है। खरीद की प्रक्रिया शुरू करने के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद प्रक्रिया शुरू होगी। अभी एमपी सरकार के मंत्री इनोवा क्रिस्टा का इस्तेमाल करते हैं। मंत्रियों की डिमांड को देखते हुए राज्य गैरेज ने कम से कम 31 नई इनोवा क्रिस्टा कारों के लिए प्रस्ताव भेजा है। इनमें 28 मंत्रियों के लिए एक-एक और दो उपमुख्यमंत्रियों के लिए एक-एक शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि अभी मंत्रियों के पास जो मौजूदा कारें हैं, उनमें भी अधिकांश नई हैं, जिसे 2022-23 में खरीदा गया था। ये कारें मुश्किल से 10,000-20000 किमी चली हैं। नई कारों की खरीद पर 11 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं। यह प्रस्ताव मार्च की शुरुआत में भेजा गया था।
साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्ज विरासत में मिला
पिछले साल नवंबर में जब विधानसभा चुनाव हुए थे तो साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिला था। हर महीने 3500 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज सरकार ने लिया है। सरकार ने 20 मार्च को 5000 करोड़ रुपए अतिरिक्त कर्ज के लिए अधिसूचना जारी की थी, जिसकी प्रक्रिया 26 मार्च को पूरी होनी थी। इसकी अगर मंजूरी मिल जाती है तो इसका मतलब होगा कि तीन महीनों में वर्तमान सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के 47 फीसदी कर्ज लिए हैं। वहीं, नकदी की कमी से जूझ रही एमपी सरकार को नई कार के लिए 11 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। हालांकि इसकी अंतिम कीमत वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद ही पता चलेगा। जेम पोर्टल के माध्यम से कारों की खरीद के लिए निविदा आमंत्रित किए जाते हैं।
कारों से संतुष्ट नहीं हैं मंत्री
वहीं, अधिकारियों ने बताया कि मंत्रियों को जो कारें आवंटित की गई हैं, उससे वह संतुष्ट नहीं हैं। उनका तर्क है कि उनके पास नई कारें होनी चाहिए क्योंकि उन्हें राज्य के विभिन्न हिस्सों में अक्सर यात्रा करनी पड़ती है। राज्य गैरेज के अधिकारियों ने प्रतिनिधि को बताया कि उन्होंने मार्च के पहले सप्ताह में प्रस्ताव भेजा था। अधिकारियों ने कहा कि यह वित्तीय वर्ष अब समाप्ति की ओर है, वित्त विभाग किसी भी मद के तहत खरीद को समायोजित कर सकता है या फिर नए एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष में इसकी मंजूरी मिल सकती है। वहीं, क्या आचार संहिता का कोई असर खरीदी पर पड़ सकता है। इस पर अधिकारियों ने कहा कि यह सरकार पर निर्भर करता है।
कब बदल सकती है मंत्रियों की कारें
मंत्रियों की कारें कब बदली जा सकती हैं, इसका कोई नियम नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि इससे पहले, एचएम एंबेसडर युग के दौरान, कारों को आमतौर पर 1.1 लाख किमी के बाद बदल दिया जाता था लेकिन नई कारों का जीवनकाल काफी बेहतर होता है और उन्हें पांच लाख किमी तक आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि अगर मंत्रियों के बेड़े को बदल दिया जाता है तो मौजूदा कारें सरकारी अधिकारियों को दे दी जाएंगी क्योंकि उन्हें आमतौर पर शहर के भीतर ही चलने की जरूरत होती है और वे पुरानी कारों से काम चला सकते हैं।
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