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'कब तक जलेंगे मध्यप्रदेश के जंगल' जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार से आग्निकांड की घटनाओं पर मांगा जवाब



 जबलपुर (ब्यूरो) - गर्मी का मौसम शुरू होते ही मध्यप्रदेश के वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इससे व्यापक स्तर पर पेड़ों के नष्ट होने के साथ ही वन्य जीवों का नुकसान होता है. हर साल ऐसी घटनाएं होने के बाद भी वन विभाग असहाय दिखता है. इस मामले को लेकर राज्य सरकार ने भी अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किए और न ही कोई योजना बनाई. वन विभाग की लापरवाही भी कई बार सामने आई है. अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं को गंभीरता से लिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के साथ ही वन विभाग और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. गौरतलब है कि जबलपुर के लॉ स्टूडेंट मनन अग्रवाल ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि मलिमथ को इस बारे में पत्र लिखा था. इसमें कोर्ट को बताया गया कि शहडोल, अनूपपुर, उमरिया के जगंलों में आग लगना आम बात हो गई है. बांधवगढ़ क्षेत्र में आग लगने से प्रकृति को बेतहाशा नुकसान होता है. साथ ही जंगली जानवरों पर संकट पैदा हो जाता है. इस पत्र को मुख्य न्यायाधीश ने याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई शुरू की है.

आग से लाखों पेड़ नष्ट, वन्य प्राणी भी मौत का शिकार

बता दें कि लॉ स्टूडेंट मनन अग्रवाल ने 2021 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की कोर्ट में चिट्ठी लिखी थी. 3 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक सरकार की ओर से इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया. मनन अग्रवाल का कहना है कि इसकी अंतिम सुनवाई फरवरी में हुई थी और सरकार ने जून तक इस मामले में जवाब देने की बात कही है. हाईकोर्ट को बताया गया कि जंगलों में आग लगने के बाद राज्य सरकार भी खामोश बैठी रहती है. सरकार के पास आग लगने के बाद बुझाने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं. वन विभाग भी हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है. आग लगने से लाखों पेड़ जलकर राख हो रहे हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में वन्य प्राणी भी जलकर मारे जाते हैं. पक्षी भी आग लगने के बाद बेघर हो जा रहे हैं.

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