भोपाल (ब्यूरो) - मध्य प्रदेश की बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम बिगड़ गया है। अब सरकार ने अधिकारियों से इसका कारण पूछ लिया है। वल्लभ भवन में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने चिट्ठी आगे बढ़ाकर निचले अधिकारियों से कारण पूछा लिया। अंत में यह 'कारण बताओ नोटिस' स्कूल के प्राचार्य तक पहुंच गया है। प्राचार्यों ने भी बड़ी बारिकी से इस समस्या का हल निकाल लिया है। खराब रिजल्ट के पीछे अतिथि शिक्षकों का 'हाथ' बता दिया गया है। वहीं, खराब परिणाम के मामले में सब बच गए, आखिर में पिसने की बारी भी अतिथि शिक्षकों की आई है। अब शासन ने इन अतिथि शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने का आदेश जारी कर दिया है। लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश के एक आदेश के हवाले से कहा गया है कि 30 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम वाले अतिथि शिक्षकों को इस बार न रखने की बात कही गई है।
दरअसल, 21 मई को लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल में आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने प्रदेशस्तरीय बैठक ली थी। इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि 30 प्रतिशत से कम परिक्षा परिणाम वाले आवेदक को अतिथि शिक्षक हेतु आमंत्रित नहीं किया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि यदि पैनल के अनुसार अतिथि शिक्षक आमंत्रित किए जाते हैं, तब भी उसके द्वारा पूर्व की शालाओं में किए गए अध्यापन का परीक्षा परिणाम देखा जाए। यदि परीक्षा परिणाम 30 प्रतिशत से कम रहा है तो उन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में विद्यालय में आमंत्रित नहीं किया जाए। गौरतलब है कि पिछले दिनों जब भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी ने 30 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम वाले स्कूलों के प्राचार्यों से कारण पूछा था तो प्राचार्यों ने अजीब तर्क दिए थे। एक स्कूल के प्राचार्य ने जवाब में यह लिखा था कि अतिथि शिक्षकों ने बच्चों को ठीक से नहीं पढ़ाया, इस कारण 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट खराब हो गया। यही कारण है कि शासन ने भी खराब रिजल्ट का कारण अतिथि शिक्षकों को ही माना है।
अच्छा नहीं रहा परीक्षा परिणाम
पिछले दिनों मध्य प्रदेश बोर्ड का परीक्षा परिणा आया है। 12वीं बोर्ड का रिजल्ट 64.49 प्रतिशत रहा है, जबकि दसवीं बोर्ड का परिणाम 58.57 आया है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक अतिथि शिक्षक ने साप्ताहिक चलता चक्र से कहा कि कम परीक्षा परिणाम के कारण अतिथियों पर कार्रवाई हो रही है, अच्छी बात है। लेकिन ऐसे कई नियमित शिक्षक हैं, जिनके विषय का परीक्षा परिणाम भी 30 प्रतिशत से कम आया है, शासन क्या उन्हें भी बर्खास्त करने की हिम्मत दिखाएगा?
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