- अगर खराब रिजल्ट पर सरकार सख्त है, तो परमानेंट शिक्षक पर कार्रवाई का आदेश क्यों नहीं??
- क्या मुख्यमंत्री का जोर इन लाचार ओर मजबूर बेबस अतिथि शिक्षकों पर हीं चलता है??
- क्या किसी परमानेंट मास्टर का रिजल्ट 30% से कम रहा तो इनपर कार्रवाई का आदेश क्यों नहीं?? - विचारणीय प्रश्न
चक्र डेस्क - हाल हीं मे मुख्यमंत्री के 30% से कम परीक्षा परिणाम वाले अतिथि शिक्षकों को नहीं रखने के आदेश के बाद यह फरमान को अतिथि संघ गलत ठहरा रहा है। अगर देखा जाएं तो जिन परमानेंट मास्टरों को लाखो रूपये महीने तनख्वाह मिलती है, अगर उनका रिजल्ट 30% से कम निकला तो इनपर कार्रवाई बनती है या नहीं, की सिर्फ अतिथियों पर हीं कार्रवाई होंगी। अगर देखा जाएं तो लाखो की तनख्वाह पाने के साथ साथ साल भर मे कई तरह के प्रशिक्षण भी इनको दिए जाते है, इन परमानेंट मास्टरों को प्रशिक्षण के देने के नाम पर लाखो करोडो रूपये सरकार खर्च कर के प्रशिक्षण आयोजित करवाती है, ओर बच्चो को कैसे पढ़ाया जाएं जिससे बच्चो का परीक्षा परिणाम अच्छा रहें इस पर इनको ट्रेंड कोयन जाता है, उसके बाद भी इन परमानेंट मास्टरों का के विषय मे 30% से कम परीक्षा परिणाम रहने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं ओर वही दूसरी ओर वह अतिथि शिक्षक स्कुल शुरू होने के दो महीने बाद काम पर रखा जाता है ओर परीक्षा शुरू होते हीं घर भेज दिया जाता है बीच सत्र मे कोई परमानेंट मास्टर ट्रांसफर लेकर आ जाता है तो अतिथि शिक्षक को घर भेज दिया जाता है, इन सब परेशानी के बाद भी अतिथि शिक्षक कम कम वेतन ओर कम दिनों मे अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करते है उसके बाद भी खराब रिजल्ट का ठीकरा सिर्फ अतिथि शिक्षक ओर हीं क्यों। इस विषय पर प्रदेश के मुखिया ओर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गहन विचार करे।
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