बिगड़े बोल: शिकायत करने पहुंचे लोगों से एसडीएम ने कहा- ‘पटवारियों को हल्के से हटाकर वाटर टैंकर के पीछे लगा दूं…’?
शुजालपुर (ब्यूरो) - महिला एसडीएम का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने टैंकर संचालकों की मनमानी की शिकायत करने गए लोगों से ऐसी बात कह दी कि उनके ही होश उड़ गए। शुजालपुर एसडीएम अर्चना कुमारी ने उनसे कहा, क्या पटवारियों को हल्के से हटाकर वाटर टैंकर के पीछे लगा दूं। उनका यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दरअसल शुजालपुर शहर के कई इलाकों में 13 दिन के अंतराल से भी नगर पालिका की ओर से पेयजल की व्यवस्था नहीं की जा रही है। हर रोज करीब डेढ़ सौ टैंकर पानी खरीदकर नगर पालिका शहर में सप्लाई कर व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास कर रही है। लेकिन टैंकर संचालक मनमानी पैसे वसूल रहे हैं। पानी की किल्लत और ज्यादा पैसे वसूलने के संबंध में शिकायत करने ब्लॉक कांग्रेस के नेतृत्व में करीब 50 महिला, पुरुष व कांग्रेस के नेता नगर पालिका के सामने इकट्ठे हुए। वे हाथ में मटके व खाली कुप्पी लेकर एसडीएम कार्यालय पहुंचे। नारेबाजी करते हुए लोगों ने जल संकट से निपटने में नगर पालिका को नाकाम बताते हुए गुस्सा जताया
ज्ञापन देने से पहले बातचीत के दौरान एसडीएम शुजालपुर अर्चना कुमारी को काजी एस रहमान ने टैंकर संचालकों द्वारा मनमाने दाम वसूलने पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन की मॉनिटरिंग करने का निवेदन किया। इस पर शुजालपुर एसडीएम अर्चना कुमारी ने संतोषजनक जवाब देने की जगह एक अजीब बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि क्या पटवारियों को हल्के से हटाकर टेंकरों के पीछे लगा दें? जलसंकट से निपटने के बजाय उनका लोगों से यह लापरवाही भरा सवाल अब काफी वायरल हो रहा है। ज्ञापन देने से पहले महिलाओं व कांग्रेस ने नगरपालिका, एसडीएम कार्यालय के बाहर मटके भी फोड़ गुस्सा निकाला। कुल तीन मटके और आधा दर्जन खाली कुप्पियों के साथ कांग्रेस शहर के 25 वार्डो से 100 लोगों को भी विरोध प्रदर्शन के लिए नहीं जुटा पाई। कांग्रेस नेता महेंद्र जोशी ने मीडिया से चर्चा में कहा मेरा नगर मेरी अयोध्या कहने वाले लोगों से मेरा निवेदन है कि अयोध्या की जनता को नल से पानी दे दें, जनता प्यासी है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में हीटवेव से लोगों की हालत खराब है। इस भीषण गर्मी में पानी सबकी प्राथमिकता है। इस आपदा को अवसर में बदलने वाले खुलकर लूट मचा रहे हैं। लेकिन जब इससे परेशान लोग आस लेकर जिम्मेदारों के पास जाते हैं तो उन्हें इस तरह का अजीबो गरीब बयान सुनने मिलता है। ऐसे में यह सोचने वाला विषय है कि उंचे पद पर बैठे अधिकारियों का इस तरह बयान देना किस हद तक सही है?
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