- लैंडफील के आसपास के पोखरों का पानी हुआ काला
- पानी नाले के रुप में बहकर जल स्त्रोतों को कर रहा प्रदूषित
- खेतो जमीं हुई अनुपजाऊ, पिने का पानी भी विषैला
धार (ब्यूरो) - 40 साल पहले पांंच हजार लोगों को मौत की नींद सुलाने वाली भोपाल की यूनियन कार्बाइड कंपनी के 337 टन कचरे का निपटान पीथमपुर के तारापुर गांव में होगा। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैै, लेकिन यह गांव इतना प्रदूषण बर्दाश्त नहीं कर पाएगा। तारापुर गांव जहरीले कचरे के कारण काले पानी की सजा भुगत रहा है। वर्ष 2008 में यूनियन कार्बाइट का 40 टन कचरा गुपचुप तरीके से इस गांव में दफन जा चुका हैै। जहरीले कचरे ने जमीन की मिट्टी और भूजल को प्रदूषित कर दिया है। सरकार भले ही ‘सब ठीक है’ का दावा करे, लेकिन इस गांव की कड़वी सच्चाई यह है कि गांव के बोरिंग का पानी पीने योग्य नहीं है। खेती की जमीन उपजाऊ नहीं रही। जहरीले कचरे को दफन किए गए हिस्से के आसपास की पड़ताल की तो पाया कि लैंडफील के आसपास के पोखरों का पानी काला हो चुका है। कई मवेशी इस पानी को पीकर मर चुके है। यही पानी नाले के रुप में बहकर जल स्त्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। गांव के लोग इस काले पानी से डरते है और बच्चों को पोखरों की तरफ जाने नहीं देते। ग्रामीण सरिता सुनारे बताती है कि जिस भस्मक में कचरा चलेगा, उससे 500 मीटर दूर गांव का आबादी क्षेत्र है। कंपनी ग्रामीणों की जान खतरे में डालेगी। पहले जो कचरा दफन किया गया है, उसके कारण कई लोगों को चर्म रोग होने लगे है। बोरिंग का पानी हम उपयोग नहीं कर सकते हैै।
377 दिन में होगा कचरे का निपटान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी को विषैले कचरे के निपटान के लिए 126 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने का फैसला लिया हैै। भोपाल से ढाई सौ किलोमीटर का सफर तय करने के बाद कचरा पीथमपुर तक लाया जाएगा। इस मामले में लगी याचिका के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया है कि कचरे के निपटान में 200 से 377 दिन का समय लगेगा।
यूनियन कार्बाइट कचरे के निपटान के मामले में लोकसभा में जानकारी दी गई हैै। औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में इसका निपटान होना है, लेकिन किसी भी तरह का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
- चैतन्य कश्यप, उद्योग मंत्री, मध्य प्रदेश शासन
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